Shattila Ekadashi Vrat 2020: षटतिला एकादशी व्रत से बढ़ती है आयु और भरते हैं धन के भंडार
मुंबई। माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी कहा जाता है। जैसा कि नाम से ज्ञात है षट यानी छह और तिला या तिल। इस एकादशी के दिन तिल को छह प्रकार से प्रयोग में लाया जाता है। इस एकादशी के दिन तिल का उबटन लगाना, तिल से स्नान करना, तिल से तर्पण करना, तिल से हवन करना, तिलों से बनी वस्तुओं का दान करना और तिल का भोजन करना ये छह प्रकार बताए गए हैं। षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु का तिल से पूजन करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। इस एकादशी का व्रत आयु और आरोग्य में वृद्धि करने वाला कहा गया है। इस वर्ष षटतिला एकादशी 20 जनवरी 2020, सोमवार को आ रही है।
कैसे करें एकादशी पूजन
षटतिला एकादशी के व्रत से एक दिन पूर्व दशमी तिथि से ही व्रती को संयमित जीवन अपना लेना चाहिए। यानी दशमी के दिन व्यक्ति रात्रि भोजन ना करें। काम, क्रोध, लोभ, मोह और किसी के प्रति तिरस्कार की भावना को मन से निकालते हुए पूर्ण शुद्ध मन से षटतिला एकादशी का व्रत रखें। एकादशी के दिन प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में जागकर स्नानादि से निवृत्त होकर अपने घर के पूजा स्थान में भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें और उनके सामने एकादशी व्रत का संकल्प लें। इस व्रत में पूरे दिन निराहार रहा जाता है। आवश्यकता के अनुसार फलों का सेवन करें। शाम के समय भगवान विष्णु का पूजन करें। तुलसी के समीप घी का दीपक लगाएं। अगले दिन यानी द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें। इसके लिए एक ब्राह्मण दंपती को भोजन करवाकर उचित दान-दक्षिणा प्रदान करें, आशीर्वाद लें और व्रत खोलें।
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षटतिला एकादशी से लाभ
- षटतिला एकादशी का व्रत करने से आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
- इस दिन तिल का छह प्रकार से प्रयोग करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है। आयु में वृद्धि होती है।
- षटतिला एकादशी का व्रत करने से नेत्र के रोग दूर होते हैं।
- इस व्रत को करने से भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। धन-संपदा में वृद्धि होती है।
- यह व्रत सौभाग्यदायक कहा गया है। जो सुहागिन स्त्रियां यह व्रत करती है वे अखंड सौभाग्यवती रहती हैं।
- दंपतियों को जोड़े से यह व्रत करना चाहिए। इससे दांपत्य जीवन सुखी रहता है।
- इस दिन किसी ब्राह्मण को तिल से भरा कलश दान करना चाहिए। इससे आपके घर में धन-संपदा के भंडार भरे रहते हैं।
- जिस कामना की पूर्ति से यह व्रत किया जाए वह अवश्य पूरी होती है।
- व्रत के प्रभाव से समस्त पापों का नाश होता है। मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
- अविवाहित युवक-युवतियों को इस एकादशी व्रत के प्रभाव से शीघ्र विवाह का मार्ग प्रशस्त होता है।
एकादशी तिथि कब से कब तक
- एकादशी तिथि प्रारंभ 19 जनवरी मध्यरात्रि बाद 2.50 बजे से
- एकादशी तिथि पूर्ण 20 जनवरी मध्यरात्रि बाद 2.05 बजे तक
- एकादशी तिथि का पारण 21 जनवरी को सुबह 8.00 से 9.21 बजे तक
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