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Sharad Purnima 2018: लक्ष्मी को खुश करने का सर्वोत्तम दिन है शरद पूर्णिमा

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नई दिल्ली। आश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक माह की पूर्णिमा का अपना महत्व होता है, लेकिन आश्विन माह की पूर्णिमा कई मायनो में श्रेष्ठ है। इसे शरद पूर्णिमा कहा जाता है क्योंकि इसी दिन से शरद ऋतु का प्रारंभ होता है। यह देवों के चार माह के शयनकाल का अंतिम चरण भी होता है। इसके साथ ही इस पूर्णिमा का जो सबसे बड़ा महत्व है, वह यह है कि पौराणिक आख्यानों के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए सुख, सौभाग्य, आयु, आरोग्य और धन-संपदा की प्राप्ति के लिए इस पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है।

लक्ष्मी को प्रसन्न् करने का सर्वोत्तम दिन है शरद पूर्णिमा

लक्ष्मी को प्रसन्न् करने का सर्वोत्तम दिन है शरद पूर्णिमा

इस दिन चंद्रमा भी अपनी पूर्ण सोलह कलाओं से युक्त रहता है और माना जाता है कि वह पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करता है, इसलिए इस दिन चंद्रमा की चांदनी में खीर बनाकर रखी जाती है और उसका सेवन किया जाता है। इससे कई प्रकार के रोग समाप्त होते हैं। स्थान भेद के अनुसार कहीं कहीं इस पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता है। कहा जाता है इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधा और गोपियों के साथ महारास रचाया था। इसलिए कई जगह इस दिन गरबा रास का आयोजन भी होता है।

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इस दिन है शरद पूर्णिमा

इस दिन है शरद पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा 24 अक्टूबर 2018, बुधवार को आ रही है। पूर्णिमा तिथि 23 अक्टूबर को रात्रि में 10.36 बजे प्रारंभ हो जाएगी जो 24 अक्टूबर को रात्रि 10.14 बजे तक रहेगी। अत: पूर्णिमा का व्रत 24 अक्टूबर को ही किया जाएगा।

कैसे करें पूर्णिमा व्रत

शरद पूर्णिमा के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर अपने घर के पूजा स्थान को शुद्ध-स्वच्छ करके सफेद आसन पर पूर्वाभिमुख होकर बैठ जाएं। अब चारों ओर गंगाजल की बूंदें छिड़कें। सामने एक चौकी पर चावल की ढेरी लगाकर उस पर तांबे या मिट्टी के कलश में शकर या चावल भरकर स्थापना कर उसे सफेद वस्त्र से ढंक दें। इसके बाद उसी चौकी पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करके उनकी पूजा करें। सायंकाल में चंद्रोदय के समय घी के 11 दीपक लगाएं। प्रसाद के लिए मेवे डालकर खीर बनाएं। इसे ऐसी जगह रखें जहां इस पर चंद्रमा की चांदनी आती हो। तीन घंटे बाद मां लक्ष्मी को इस खीर का नैवेद्य लगाए। घर के बुजुर्ग या बच्चों को सबसे पहले इस खीर का प्रसाद दें फिर स्वयं ग्रहण करें। सामर्थ्य के अनुसार रात्रि जागरण करें और दूसरे दिन प्रात: स्नानादि के बाद कलश किसी ब्राह्मण को दक्षिणा सहित दान दें।

शरद पूर्णिमा व्रत की कथा

शरद पूर्णिमा व्रत की कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार किसी समय एक नगर में एक साहुकार रहता था। उसकी दो पुत्रियां थी। वे दोनों पूर्णिमा का उपवास रखती थी, लेकिन छोटी पुत्री हमेशा उस उपवास को अधूरा रखती और दूसरी पूरी श्रद्धा के साथ व्रत का पालन करती। कुछ समय बाद दोनों का विवाह हुआ। विवाह के बाद बड़ी पुत्री ने अत्यंत सुंदर, स्वस्थ संतान को जन्म दिया जबकि छोटी पुत्री की कोई नहीं हो रही थी। वह काफी परेशान रहने लगी। उसके साथ-साथ उसके पति और परिजन भी परेशान रहते। उसी दौरान नगर में एक विद्वान ज्योतिषी आए। पति-पत्नी ने सोचा कि एक बार ज्योतिषी महाराज को कुंडली दिखाई जाए। यह विचार कर वे ज्योतिषी के पास पहुंचे। उन्होंने ने स्त्री की कुंडली देखकर बताया कि इसने पूर्णिमा के अधूरे व्रत किए हैं इसलिए इसको पूर्ण संतान सुख नहीं मिल पा रहा है। तब ब्राह्मणों ने उसे पूर्णिमा व्रत की विधि बताई व उपवास रखने का सुझाव दिया। इस बार स्त्री ने विधिपूर्वक व्रत रखा। इस बार संतान जन्म के बाद कुछ दिनों तक ही जीवित रही। उसने मृत शिशु को पीठे पर लिटाकर उस पर कपड़ा रख दिया और अपनी बहन को बुला लाई बैठने के लिए। उसने वही पीठा उसे बैठने के लिए दे दिया। बड़ी बहन पीठे पर बैठने ही वाली थी कि उसके कपड़े के छूते ही बच्चे के रोने की आवाज आने लगी। उसकी बड़ी बहन को बहुत आश्चर्य हुआ और कहा कि तू अपनी ही संतान को मारने का दोष मुझ पर लगाना चाहती थी। अगर इसे कुछ हो जाता तो। तब छोटी ने कहा कि यह तो पहले से मरा हुआ था। आपके प्रताप से ही यह जीवित हुआ है। बस फिर क्या था। पूर्णिमा व्रत की शक्ति का महत्व पूरे नगर में फैल गया और नगर में विधि विधान से हर कोई यह उपवास रखे इसकी राजकीय घोषणा करवाई गई। वह स्त्री भी अब पूर्ण श्रद्धा से यह व्रत रखने लगी और उसे बाद में अनेक स्वस्थ और सुंदर संतानों की प्राप्ति हुई।

लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए यह उपाय जरूर करें

लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए यह उपाय जरूर करें

  • शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की कृपा पानें और आर्थिक संकटों से छुटकारा पाने के लिए पूर्णिमा की रात्रि में अपने घर में घी के 21 दीपक लगाकर श्रीसूक्त का 51 बार पाठ करें।
  • एक चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर चावल से स्वस्तिक बनाएं और उस पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर 'ऊं महालक्ष्म्यै नम:" मंत्र की 11 माला जाप करें।
  • एक चौकी पर लाल कमल स्थापित कर उस पर मां लक्ष्मी की चांदी की प्रतिमा स्थापित करें और कमलगट्टटे की माला से ' ऊं श्रीं " मंत्र की 21 माला जाप करें।
  • पूर्णिमा की रात्रि वैजयंती माला से भगवान विष्णु के मंत्र 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करें।
  • पूर्णिमा की रात्रि में विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती

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English summary
This year Sharad Purnima falls on Tuesday, 23rd October 2018. The Purnima tithi Starts at 22:36 on 23rd October 2018 and ends at 22:14 on 24th October 2018.
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