Shani Jayanti 2019: शनि को प्रसन्न करने के ये उपाय जरूर करें
नई दिल्ली। नवग्रहों में न्यायाधिपति कहलाने वाले शनि की जयंती 3 जून, सोमवार को आ रही है। शनि के नाम से ही लोग डर जाते हैं, लेकिन शनि हर किसी के लिए बुरे नहीं होते। वे न्यायाधीश हैं। व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों के हिसाब से उन्हें दंड देते हैं। इसलिए उन्हें देव तुल्य मानते हुए देवता का दर्जा दिया गया है। शनि बुरे कर्म करने वालों को भयंकर दंड देते हैं, लेकिन धर्म के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति, अपने परिश्रम और ईमानदारी से धन अर्जित करने वाले को मनचाही वस्तुएं, भौतिक सुख, मानसिक शांति प्रदान करते हैं।
शनि जयंती
यूं तो शनि देव को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक शनिवार को लोग अपनी-अपनी मान्यता और श्रद्धा-भक्ति के अनुसार दान, पूजा करते हैं, लेकिन शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए शनि जयंती से अच्छा कोई और दिन नहीं। इस दिन शनि से संबंधित उपाय करके आप भी शनिदेव के कृपा पात्र बन सकते हैं। उत्तर भारतीय पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार शनि जयंती ज्येष्ठ मास की अमावस्या को आती है। इस बार यह 3 जून 2019, सोमवार को आ रही है। शनि जयंती को शनैश्चरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सोमवार होने के कारण सोमवती अमावस्या का संयोग भी बन गया है। यह शनिदेव के जन्म का दिवस है, इसलिए इस दिन की गई पूजा, दान, हवन से शनिदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
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शनि जन्म की कथा
शनि के जन्म के संदर्भ में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार शनि, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य देव का विवाह संज्ञा से हुआ और कुछ समय पश्चात उन्हें तीन संतानों के रूप में मनु, यम और यमुना की प्राप्ति हुई। इस प्रकार कुछ समय तो संज्ञा ने सूर्य के साथ निर्वाह किया परंतु संज्ञा सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं। इस वजह से संज्ञा अपनी छाया को पति सूर्य की सेवा में छोड़ कर वहां से चली गईं। कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ।
शनि जयंती का महत्व
शनि को क्रूर ग्रह जरूर माना जाता है, लेकिन वे केवल उन्हीं लोगों को दंड देते हैं जो बुरे कर्मों में लिप्त रहते हैं। शनि जयंती का महत्व उन लोगों के लिए ज्यादा बढ़ जाता है, जिनकी जन्म कुंडली में शनि बुरे प्रभाव दिखा रहा हो। जिन्हें शनि की साढ़ेसाती, ढैया चल रही हो। इन सब स्थितियों के कारण व्यक्ति भयंकर मानसिक, शारीरिक और आर्थिक परेशानियों से जूझता है। दांपत्य जीवन संकटपूर्ण रहता है और समस्त कार्यों में उसे असफलता हाथ लगती है।
शनि जयंती पर क्या करें
- शनि जयंती के दिन उपवास रखें। शनि मंदिर जाएं और तेलाभिषेकम करें।
- शनि की शांति के लिए शनि शांति पूजा और शनि यज्ञ करवाएं।
- भिखारियों, जरूरतमंदों, कोढ़ी लोगों को भोजन करवाएं।
- इस दिन स्वयं या योग्य पंडितों द्वारा शनि के 23 हजार जाप भी करवाएं।
- शनि जयंती के दिन घोड़े की नाल से बनी अंगूठी धारण करें।
- तेल, लोहे की कील, काले तिल, काला कपड़ा, काले उड़द शनिदेव की प्रतिमा पर अर्पित करें।
- शनि जयंती के दिन नवग्रह शांति पूजा कुंडली के समस्त दोषों का निवारण करने में सक्षम है।
- इस दिन शनि यंत्र की स्थापना करें।
- परिवार में कोई सदस्य लगातार बीमार रहता हो तो शनि पूजा के साथ महामृत्युंजय जाप करवाएं।
- ओम शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें।
- शनि की अनुकूलता से व्यक्ति पर से साढ़ेसाती, ढैया और कुंडली में मौजूद कमजोर शनि का प्रभाव समाप्त होता है।
- कार्यों में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं। व्यापारियों को तरक्की, नौकरीपेशा को पदोन्नति मिलती है।
- दांपत्य जीवन में आ रही परेशानियां समाप्त होती हैं।
- जिन लोगों की बार-बार वाहन दुर्घटना हो रही हो, बीमारियों से परेशान हैं। उन्हें शनि शांति पूजा से राहत मिलती है।
- अमावस्या प्रारंभ 2 जून सायं 4.39 से
- अमावस्या समाप्त 3 जून दोपहर 3.31 तक
क्या होगा लाभ
अमावस्या तिथि कब से कब तक
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