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Shani Jayanti 2020: जानिए शनिदेव के बारे में सबकुछ

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। वैदिक ज्योतिष में शनि को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। इस ग्रह से सभी लोग भयभीत भी रहते हैं क्योंकि एक बार किसी को शनि की पीड़ा शुरू हो जाए तो वह आसानी से पीछा नहीं छोड़ती। शनि की साढ़ेसाती पूरे साढ़े सात साल चलती है। ज्योतिष में शनि को पीड़ाकारी ग्रह माना जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि शनि न्यायाधीश हैं। वे व्यक्ति को उसके अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं। शनि का संबंध आयु, पीड़ा, रोग, साइंस, टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, लोहा, तेल, पेट्रोलियम पदार्थ, जेल यात्रा आदि से होता है।

 शनि का ज्योतिषीय पक्ष

शनि का ज्योतिषीय पक्ष

शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि का स्वामी होता है। यह तुला राशि में उच्च और मेष में नीच का होता है। शनि के मित्र ग्रह हैं बुध, शुक्र, राहु, केतु। शनि के शत्रु ग्रह हैं सूर्य, चंद्र, मंगल और शनि के सम ग्रह हैं बृहस्पति। सभी ग्रहों का एक राशि में गोचरकाल अलग-अलग होता है। शनि एक राशि में ढाई साल यानी 30 माह तक रहता है। शनि पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी होता है।

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कैसे लगती है शनि की साढ़ेसाती

कैसे लगती है शनि की साढ़ेसाती

शनि जिस राशि में गोचर करते हैं उससे एक राशि पीछे और एक राशि आगे पर भी अपना असर डालते हैं। वर्तमान में शनि मकर राशि में चल रहे हैं तो इससे पहले की राशि धनु और आगे की राशि कुंभ पर भी शनि की साढ़ेसाती चल रही है। चूंकि शनि एक राशि में ढाई साल रहते हैं और आगे-पीछे की राशियों पर भी प्रभाव रहता है, इस लिहाज से एक राशि पर साढ़ेसात का समय हो जाता है। इसे ही साढ़ेसाती कहा जाता है। इसके अलावा शनि जिस राशि से चतुर्थ और अष्टम होता है उस पर शनि का लघुकल्याणी ढैया चलता है। वर्तमान में शनि मकर में है तो मिथुन से शनि आठवां और तुला से चौथा है। इसलिए मिथुन और तुला राशि पर लघु ढैया चल रहा है।

शनि के बारे में

शनि के बारे में

  • शनि नौ ग्रहों में सबसे मंद, धीमी गति से चलने वाला और सबसे ठंडा ग्रह है।
  • जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में शनि उच्च का हो वह सामान्य परिवार में जन्म लेने के बाद भी राजाओं के समान जीवन जीता है।
  • उच्च का शनि जातक को कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय बनाता है। ऐसा व्यक्ति दीर्घायु होता है।
  • लग्न भाव में शनि होने से जातक आलसी, सुस्त और तुच्छ मानसिकता वाला होता है।
  • लग्न में शनि होने से जातक का वर्ण काला, शरीर शुष्क होता है। व्यक्ति एंकातप्रिय होता है।
  • शनि नीच का हो तो व्यक्ति दुर्व्यवहारी, दुराचारी होता है। ऐसे व्यक्ति दुर्घटना के शिकार होते हैं। जेल यात्रा भी करना पड़ सकती है।
  • दूषित शनि के कारण व्यक्ति को कैंसर, पैरालिसिस, जुकाम, अस्थमा, चर्म रोग, हड्डियों के रोग होते हैं।
  • शनि का संबंध लौह धातु के बिजनेस, ऑटोमोबाइल, इंजीनियरिंग, बिल्डिंग मटेरियम, तेल का कारोबार आदि से होता है।
  • शनि ग्रह का संबंध कौवा, गधा, बिल्ली, भेडि़या, भैंसा, मगरमच्छ, भालू, विषैले जीव जंतुओं से होता है। यह चमगादड़ का भी प्रतिनिधित्व करता है।
  • शनि का रत्न है नीलम और धातु है चांदी, सोना, लोहा।
  • शनि की पीड़ा शांत करने के लिए सात मुखी रूद्राक्ष धारण किया जाता है।
  • शनि की शांति के लिए 23 हजार जाप किए जाते हैं। कलयुग में इसके चार गुना जाप करना चाहिए यानी 92 हजार से सवा लाख जाप।
  • शनि की पीड़ा शांत करने के लिए हनुमानजी और शिवजी की आराधना की जाती है।
  • शनि की शांति के लिए उड़द की दाल से बनी मिठाइयां, तिल से बनी मिठाइयां, नमकीन चावल, छाता, जूते, चप्पल, दवाइयों का दान करना चाहिए।

यह पढ़ें: शनि जयंती 22 मई को, जानिए कैसे हुआ शनिदेव का जन्म

Comments
English summary
This year, the festival is being celebrated on May 22. The day marks the birth anniversary of Lord Shani. Read some Important facts about Lord Shani.
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