Building Self-Confidence for success: आत्मबल से हल हो सकती है हर समस्या
नई दिल्ली। जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियों से सामना होता है, जब व्यक्ति समस्याओं से घबरा कर टूट जाता है। हर व्यक्ति के जीवन में कभी ना कभी कोई ऐसी समस्या अवश्य आती है, जिसका कोई हल दिखाई नहीं पड़ता। ऐसी स्थिति में कमजोर आत्मबल वाला व्यक्ति जीवन से हार बैठता है या वैराग्य की राह पर जाने की सोचने लगता है। ये दोनों ही मार्ग किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकते। इन दोनों ही मार्गों को जीवन से भागना ही कहा जा सकता है और जिम्मेदारियों से भागने वाला व्यक्ति फिर कभी चैन से नहीं बैठ पाता। उसका अपना अंतर्मन उसे जीवन भर कचोटता रहता है। इसीलिए भागने से अधिक अच्छा है कि परिस्थितियों का सामना किया जाए, उनका डटकर मुकाबला किया जाए।
समस्या से निपटने के लिए सबसे पहला कदम क्या होना चाहिए?
अब प्रश्न यह उठता है कि किसी भी समस्या से निपटने के लिए सबसे पहला कदम क्या होना चाहिए। इसका उत्तर हम सबके भीतर ही निहित है, वह है हमारा आत्मबल। यदि हम स्वयं पर विश्वास करते हुए यह कहते हैं कि यह समस्या आज नहीं तो कल, हल कर ली जाएगी, तो विश्वास मानिए, ठीक उसी पल से आप उस समस्या को हराना प्रारंभ कर देते हैं। कैसे, आज की कथा से यही जानते हैं-
पति की हरकतों से हताश की पत्नी
एक
बार
की
बात
है।
किसी
नगर
में
एक
महिला
रहती
थी।
वह
बेचारी
किस्मत
की
मारी
थी।
उसका
पति
दुर्गुणों
का
भंडार
था।
वह
हर
तरह
के
नशे
का
आदी
था
और
दिन
रात
जुआ
खेला
करता
था।
वह
अपनी
पत्नी
के
सारे
आभूषण,
घर
के
बर्तन
तक
बेच
चुका
था।
पत्नी
उसे
समझाने
के
सब
जतन
कर
चुकी
थी,
पर
वह
एक
ना
सुनता।
हार
कर
पत्नी
ने
उसे
समझाना
भी
छोड़
दिया
और
दिन
रात
रोती
बिलखती
जीवन
काटने
लगी।
एक
दिन
उसे
किसी
पड़ोसन
ने
बताया
कि
एक
पहुंचे
हुए
संत
नगर
में
आए
हुए
हैं।
उनसे
मिलो,
वे
तुम्हारी
समस्या
का
समाधान
बता
सकते
हैं।
पड़ोसन
की
बात
सुनकर
वह
महिला
संत
के
पास
पहुंची।
संत
ने
उसका
दुखड़ा
बड़े
ध्यान
से
सुना
और
कहा
कि
इतनी
सी
बात।
ये
तो
कोई
बड़ी
समस्या
नहीं
है।
इसे
तो
मैं
झट
से
हल
कर
दूंगा,
बस,
तुम्हें
मुझे
एक
जरूरी
सामान
लाकर
देना
होगा।
संत
की
बात
सुनकर
वह
महिला
हैरान
रह
गई
और
बोली
कि
अगर
आप
मेरे
पति
को
ठीक
कर
सकते
हैं,
तो
आप
जो
बोलेंगे,
वो
मैं
कहीं
से
भी
लाकर
आपको
दूंगी।
संत
ने
कहा
कि
मुझे
कुछ
ज्यादा
नहीं,
केवल
शेर
की
मूंछ
का
एक
बाल
चाहिए।
इधर
तुमने
वो
बाल
लाकर
दिया,
उधर
तुम्हारा
पति
ठीक
हुआ।
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'ऐसे भी मरना है और वैसे भी मरना है'
संत की बात सुनकर पहले तो महिला घबराई, पर फिर उसने सोचा कि ऐसे भी मरना है और वैसे भी मरना है, तो एक बार कोशिश करने में क्या नुकसान है। उसने हामी भर दी कि वह कैसे भी करके शेर की मूंछ का बाल लाकर देगी। संत ने कहा कि पास वाले जंगल की पांचवीं गुफा शेर की है। हिम्मत मत हारना, पूरी ताकत लगा देना। तुम्हारे जीवन के सारे सुख शेर की मूंछ के बाल में ही हैं। अगले दिन सुबह वह महिला एक बर्तन में दूध लेकर शेर की गुफा के बाहर बैठ गई। उसका कलेजा कांप रहा था, पर वह हिम्मत से डटी रही। शेर ने उसे देख दहाड़ मारी, पर वह बिना हिले, बिना डरे बैठी रही। कई दिन तक यही क्रम चलता रहा। धीरे- धीरे शेर उसे पहचानने लगा और पास आने लगा। एक दिन वह पास आकर बर्तन का दूध पीने लगा। महिला ने चुपचाप उसके बालों पर हाथ फेरना चालू कर दिया। उसने बहुत ही हिम्मत और समझदारी से कई दिन तक शेर से दोस्ती की और एक दिन मौका पाकर उसकी मूंछ का बाल तोड़ लिया। बाल पाते ही वह संत के पास दौड़ी और बोली कि अब आप जल्दी से मेरे पति को ठीक कर दीजिए।
जो महिला एक शेर को काबू में कर सकती है....
उसकी बात सुनकर संत हंसते हुए बोले कि बहन, जो महिला एक शेर को काबू में कर सकती है, उसके लिए एक व्यक्ति को सुधारना कौन सी बड़ी बात है? हर व्यक्ति की समस्या का हल उसके भीतर, उसके आत्मबल में ही निहित होता है। तुम अपनी शक्ति को पहचानो और मन में ठान लो कि तुम अपने पति को सुधार कर रहोगी। इसके लिए तुम्हें प्रेम, क्रोध, दंड या बल, कोई भी रास्ता अपनाना पडे़, तुम हिचकिचाओ मत। विश्वास करो, बहुत ही शीघ्र तुम अपने पति को सुधार लोगी। बस, एक बार अपने मन में यह बात बैठा लो कि तुम्हें हर हालत में उसे सुधारना है। उससे डरना नहीं है, किसी भी तरह उसे अपने बस में करना है।
महिला को अपने आत्मबल का भान हुआ...
संत की बात सुनकर उस महिला को अपने आत्मबल का भान हुआ और उसने उसी पल निर्णय किया कि वह अपने पति को सुधार कर ही रहेगी। ठीक उसी दिन उसने अपनी समस्या का पहला उलझा सिरा सुलझा लिया। उसने अपने पति से बहुत ही समझदारी से बिना डरे दो टूक बात की और जल्द ही उसके पति की समझ में आ गया कि अब सुधरे बिना काम ना चलेगा। इस तरह आत्मबल और आत्मविश्वास के सहारे महिला ने अपने सब दुखों से पार पा लिया।
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