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Sawan: शिव निर्माल्य को शास्त्रोक्त विधि से करें विसर्जित

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। श्रावण माह समाप्त होने को है। पूरे माह घरों और मंदिरों में शिवजी की विधि-विधान से विभिन्न् सामग्रियों सहित पूजा अर्चना की गई। उन्हें विभिन्न् प्रकार के फल, फूल, बिल्व पत्र, जनेऊ, वस्त्र आदि वस्तुएं अर्पित की गई। शिव पर अर्पित ये सभी वस्तुएं जब विग्रह से उतार ली जाती हैं तो ये निर्माल्य बन जाती है। शिव के इन्हीं निर्माल्य को नदी, तालाब या कुएं में विसर्जित करने का शास्त्रीय विधान है, लेकिन कई लोग इन वस्तुओं को पूरे महीने संभालकर रखते हैं और सावन माह समाप्त होने पर उन्हें विसर्जित करते हैं। शिव निर्माल्य के संबंध में शास्त्रों का कथन है कि इनका अपमान, अनादर बिलकुल नहीं होना चाहिए। इन्हें विधि-विधान से किसी नदी या कुएं में विसर्जित किया जाना चाहिए।

शिव के गण का होता है निर्माल्य पर अधिकार

शिव के गण का होता है निर्माल्य पर अधिकार

शास्त्रों का मत है कि शिवलिंग पर अर्पित फल, फूल, खाद्य पदार्थ आदि पर उनके चंड नामक गण का अधिकार होता है, इसलिए शिव पर चढ़ाई गई किसी भी वस्तु को मनुष्य को ग्रहण नहीं करना चाहिए। केवल वस्त्राभूषण आदि किसी जरूरतमंद व्यक्ति को प्रदान किए जा सकते हैं, वे भी सीधे शिवलिंग से उतारकर भेंट नहीं किए जाते हैं। जिन लोगों ने शैव संप्रदाय में दीक्षा नहीं ली है वे उन वस्तुओं को पहले शालिग्राम से स्पर्श करवाएं फिर ग्रहण करें। शैव दीक्षित लोग सीधे वस्त्र, आभूषण, तांबा के कलश आदि ग्रहण कर सकते हैं।

विसर्जितस्य देवस्य गंधपुष्पनिवेदनम् ।
निर्माल्यं तदविजानीयाद् वर्ज्यं वस्त्रविभूषणम् ।
अर्पयित्वा तु ते भूयश्चंडेशाय निवेदयेत् ।।

स्कंद पुराण की इस सूक्ति का अर्थ है शिवलिंग पर समर्पित पत्र, पुष्प, जल एवं नैवेद्य अग्राह्य हैं। भूमि, वस्त्र, आभूषण, सोना-चांदी, तांबा छोड़कर सभी फल जलादि निर्माल्य है। उसे कुएं में डाल देना चाहिए। शिव निर्माल्य पर महादेव के चंड नामक गण का चंडाधिकार होता है, जिसे शैव दीक्षारहित मानवों को शालिग्राम से स्पर्श कराए बिना ग्रहण नहीं करना चाहिए।

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क्या करें निर्माल्य का

क्या करें निर्माल्य का

  • शिव के निर्माल्य को लोग नदी के किनारे रख आते हैं या गाय आदि को खिला देते हैं, लेकिन शास्त्रों की बात मानें तो निर्माल्य को केवल जल में विसर्जित किया जा सकता है।
  • यदि उचित और शुद्ध जल राशि उपलब्ध ना हो तो भूमि में तीन हाथ गहरा गड्ढा खोदकर उसमें मिट्टी में दबा देना चाहिए। लेकिन सर्वश्रेष्ठ विधि केवल और केवल नदी, कुएं आदि में विसर्जित करना ही है।
  • शिव निर्माल्य

    शिव निर्माल्य

    शिव निर्माल्य का किसी भी तरह अपमान या निरादर नहीं होना चाहिए। इसकी छोटी सी मात्रा भी पैरों में नहीं आना चाहिए। इससे व्यक्ति घोर पाप का भागीदार बनता है।

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Comments
English summary
People offer flowers, Bel Patra and many things on Shivalinga during Sawan, but what happens when those things are taken off the idol, here is details, please have a look.
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