Sawan Ekadashi 2018: उत्तम संतान की प्राप्ति के लिए करें श्रावणी एकादशी का व्रत
नई दिल्ली। शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं है। वर्ष में आने वाली 24 एकादशियों का अलग-अलग महत्व है। सांसारिक मनुष्यों को अपने जीवन की समस्त समस्याओं के निराकरण और भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए, यह शास्त्रों का कथन है। ऐसी ही एक प्रमुख एकादशी है श्रावणी एकादशी। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी भी कहते हैं। इस दिन उन दंपतियों को व्रत अवश्य करना चाहिए जो उत्तम संतान पाना चाहते हैं। या जिन दंपतियों को अब तक संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ है।
श्रावणी एकादशी का व्रत
सफल दांपत्य की धुरी होती है स्वस्थ संतान। वे लोग जीवनभर निराशा में व्यतीत कर देते हैं जो संतान सुख से वंचित रहते हैं। श्रावणी एकादशी के दिन व्रत करने का तो महत्व है ही, कई अन्य उपाय भी किए जाते हैं जिनसे न केवल संतान सुख प्राप्त होता है बल्कि संतान की स्वस्थता, उसके अच्छे कॅरियर, अच्छे वैवाहिक जीवन के लिए भी हासिल होता है।
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आइए जानते हैं वे क्या क्या उपाय होते हैं....
संयम-नियम से व्रत करें
नि:संतान दंपति श्रावण शुक्ल एकादशी के दिन निराहार रहते हुए पूर्ण संयम-नियम से व्रत करें। भगवान विष्णु की पूजा करें, द्वादशी के दिन व्रत का पारणा करें। इसके लिए प्रात: स्नानादि से निवृत होकर किसी ब्राह्मण को यथायोग्य दान-दक्षिणा दें।
संतान की स्वस्थता की कामना करें
जिन दंपतियों की संतान पैदा होने के बाद मृत हो जाती हो या स्त्री का गर्भपात हो जाता हो वे इस एकादशी के दिन व्रत करें। शाम के समय किसी पीपल के वृक्ष के समीप जाकर उसकी जड़ में चांदी के लोटे से मिश्री मिश्रित कच्चा दूध अर्पित करें। पीपल के तने पर सात चक्कर मौली लपेटकर संतान की स्वस्थता की कामना करें।
11 गरीब कन्याओं को भोजन करवाएं
- जिन दंपतियों की संतान पैदा होने के बाद से लगातार बीमार रहती हों, वे दंपति पुत्रदा एकादशी का व्रत करने के साथ ही 11 गरीब कन्याओं को भोजन करवाएं और अपनी श्रद्धा के अनुसार उन्हें वस्त्र आदि भेंट करें। उन्हें कुछ उपहार भी दें। साथ ही शिवलिंग पर एक मुठ्ठी अक्षत (साबुत चावल) अर्पित करें।
- संतान के अच्छे कॅरियर के लिए इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ शिव परिवार का पूजन अवश्य करें। भगवान विष्णु के मंदिर में घी का दान करें और शिव मंदिर में मावे की मिठाई दान करें।
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