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Sawan 2020: श्रावण व्रत की समाप्ति पर क्या करें, कैसे करें पूजा

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। भगवान शिव की पूजा-आराधना का श्रावण माह 6 जुलाई से प्रारंभ हुआ था और 3 अगस्त श्रावणी पूर्णिमा के दिन पूर्ण होगा। इस एक माह में कई श्रद्धालुओं ने पूरे श्रावण माह तक व्रत रखा तो कई श्रद्धालुओं ने श्रावण के सभी सोमवार का व्रत किया। कई लोगों ने अपनी किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए व्रत किया। श्रावण माह की समाप्ति के साथ ही इसके व्रत का समापन भी हो जाता है, लेकिन अधिकांश लोग बस माह समाप्त तो व्रत भी बंद कर देते हैं। जबकि शास्त्रों में व्रत के पूर्ण होने पर इसके अनुष्ठान का निर्देश दिया हुआ है। जब तक व्रत को पूर्ण विधि-विधान अनुष्ठान के साथ बंद नहीं किया जाता, उसका फल निरर्थक हो जाता है। व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है। आइए जानते हैं श्रावण माह की समाप्ति पर क्या करना चाहिए।

अभिषेक से करें पूर्णाहुति

अभिषेक से करें पूर्णाहुति

भगवान शिव से जुड़े प्रत्येक व्रत में अभिषेक का महत्व होता है। व्रत के पूर्ण होने पर किसी कर्मकांड करने वाले ब्राह्मण को बुलवाकर रूद्रअष्टाध्यायी, शिव महिम्नस्तोत्र आदि से अभिषेक करवाया जाता है। इसके लिए बकायदा नवग्रह मंडल, षोडशमातृका मंडल, कलश पूजा, कुल देवी-देवता पूजा और पंचदेव पूजा की जाती है। इसके बाद शिवजी का अभिषेक पंचामृत से मंत्रोच्चार के साथ किया जाता है। तत्पश्चात लघु हवन किया जाता है। फिर यथाशक्ति ब्राह्मणों को भोजन करवाकर, अपनी क्षमतानुसार वस्त्र और दक्षिणा भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। शिवजी के व्रतों के बाद ब्राह्मण जोड़े को भोजन करवाने का बड़ा महत्व होता है। इसके बाद ही व्रती को प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलना चाहिए।

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पंडित ना हो तो स्वयं ही करें

पंडित ना हो तो स्वयं ही करें

  • वैसे तो इस व्रत का समापन किसी कर्मकांडी पंडित से ही करवाना चाहिए, क्योंकि पंडित विधि-विधान पूर्वक सारे कर्म अच्छे से संपन्न् करवा देते हैं। लेकिन यदि आप किसी ऐसे स्थान पर रह रहे हैं जहां पंडित उपलब्ध ना हो तो आप स्वयं भी घर में ही अभिषेक पूजा संपन्न् कर सकते हैं। इसके लिए बस कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है।
  • व्रत के समापन के दिन व्रती प्रात:काल सूर्योदय के समय उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाए।
  • अपने घर के पूजा स्थान को साफ-स्वच्छ कर लें।
इस तरह करें खास पूजा

इस तरह करें खास पूजा

  • अक्षत, कुमकुम, अबीर, गुलाल, मौली, जनेऊ का जोड़ा, पान के पत्ते, पूजा की सुपारी, लौंग, इलायची, आम के पत्ते, फूल-माला, बेल पत्र, आंकड़े के फूल, धतूरा, कर्पूर, शुद्ध घी का दीपक, धूप बत्ती, अभिषेक के लिए पंचामृत (कच्चा दूध, दही, घी, शक्कर, शहद), प्रसाद के लिए फल, मिष्ठान्न्, चूरमा।
  • दाहिने हाथ में अक्षत, पूजा की सुपारी, एक पुष्प और एक रूपए का सिक्का लेकर व्रत की पूर्णाहुति का संकल्प लें। इसके बाद इस सामग्री को तरबाने में छोड़ दें।
  • अब सबसे पहले भगवान गणेशजी को स्नान करवाकर चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद दुर्गा, सूर्य और विष्णु की पूजा करें। इसके बाद भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को एक पात्र में स्थापित करके ऊं नम: शिवाय मंत्र की 108 या 1108 आवृत्ति (1 या 11 माला) करते हुए पंचामृत एक धारा के रूप में अभिषेक करते रहें।
शिवलिंग को शुद्ध जल से स्नान करवाइए...

शिवलिंग को शुद्ध जल से स्नान करवाइए...

  • इसके बाद शिवलिंग को शुद्ध जल से स्नान करवाकर चौकी पर स्थापित करें। अब समस्त सामग्रियों से पूजन करें।
  • ब्राह्मणों को दान में दी जाने वाली वस्तुओं, वस्त्र, बर्तन, दक्षिणा का संकल्प छोड़कर शिवजी को अर्पित करें।
  • फल, मिष्ठान्न् और चूरमा का नैवेद्य अर्पित करें।
  • आरती करें और कर्पूर मंत्र बोलकर क्षमा प्रार्थना करें।
  • ब्राह्मणों को भोजन करवाकर, तिलक लगाकर दक्षिणा भेंट करें और उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें।
  • अब अपने बंधु-बांधवों सहित स्वयं प्रसाद लेकर भोजन ग्रहण करें।

यह पढ़ेंं: अगस्त का मासिक राशिफल

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English summary
Sawan month will conclude on 3rd August. The end of Sawan will be celebrated with Rakshabandhan.here is What to do at the end of Shravan fast.
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