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शुभ फल प्राप्त करने के लिए करें विष्णु पवित्रारोपण व्रत

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु का पवित्रारोपण व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने का उद्देश्य वर्ष भर आपके द्वारा की गई पूजा आदि का शुभ फल आपको प्राप्त हो और आगे आने वाले वर्ष भर आपके द्वारा की जाने वाली पूजाओं, व्रतों आदि का फल भगवान विष्णु आपको प्रदान करें। यह व्रत मुख्यत: वैष्णव संप्रदाय को मानने वाले लोगों द्वारा किया जाता है।

शुभ फल प्राप्त करने के लिए करें विष्णु पवित्रारोपण व्रत

इस द्वादशी को पवित्रा द्वादशी, पवित्रा बारस और दामोदर द्वादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का कपास के सूत से बना पवित्रक धारण करवाया जाता है। इस वर्ष पवित्रा द्वादशी का व्रत 31 जुलाई 2020 को किया जाएगा।

कैसे किया जाता है व्रत

  • श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा की जाती है।
  • इस व्रत के अधिकारी ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और स्त्री सभी समान रूप से हैं।
  • द्विज को अतो देवा इस मंत्र से भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। स्त्री और शूद्र नाम मंत्र से पूजा करें।
  • इसके बाद द्विज को कद्वोद्वाय मंत्र से शिवजी का पूजन करना चाहिए। स्त्री और शूद्र शिवजी के नाम मंत्र से पूजा करें।
  • भगवान को जो पवित्रक अर्पित किया जाता है उसके संबंध में शास्त्रों में कहा गया है- सतयुग में मणिमय, त्रेता में स्वर्णमय, द्वापर में रेशम का और कलयुग में कपास के सूत का पवित्रक अर्पण करना चाहिए।
  • एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु और शिव के चित्र स्थापित करें। एक कलश भी स्थापित करें।
  • पूजा के लिए पवित्रकों को बांस की टोकरी में रखकर सुंदर वस्त्र से ढंककर भगवान के सम्मुख रखें।
  • इसके बाद भगवान से कहें- हे प्रभु! मैं आपकी प्रसन्नता के लिए कहता हूं। मेरे कार्य में कोई विघ्न न आए, आप ही मेरी परम गति हैं। मैं इस पवित्रक से आपको प्रसन्न करता हूं। हे देवेश! वर्ष पर्यन्त आप मेरी रक्षा करें और मेरी पूजा का श्रेष्ठ फल मुझे प्रदान करें।
  • इसके बाद कलश में देवताओं का आवाहन करके बांस की टोकरी में रखे हुए पवित्रक की प्रार्थना करें।
  • इसके बाद हाथ में गंध अक्षत लेकर प्रार्थना करें कि हे भगवान मैं आपको पवित्रक धारण करवाता हूं। ऐसा कहकर भगवान विष्णु काे पवित्रक धारण करवाएं।
  • समस्त सामग्री से पूजन करें। धूप-दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
  • घृत सहित खीर का हवन करें।
  • पूजन पूर्ण होने के बाद पवित्रक का विसर्जन करें।

द्वादशी तिथि

  • द्वादशी तिथि प्रारंभ 30 जुलाई को रात्रि 11.49 बजे से
  • द्वादशी तिथि पूर्ण 31 जुलाई को रात्रि 10.41 बजे तक

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English summary
Read Vishnu Pavitra ropan Puja Vidhi, Importance and Katha.
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