Sawan 2020: सौभाग्य और विवाह सुख के लिए करें मंगला गौरी व्रत
नई दिल्ली। श्रावण माह में जिस प्रकार प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है, श्रावण सोमवार के व्रत रखे जाते हैं, उसी प्रकार श्रावण माह के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। यह व्रत विशेषकर उन कन्याओं को करना चाहिए जिनका विवाह किसी कारण से नहीं हो पा रहा है। यह व्रत उन सुहागिन स्त्रियों को भी करना चाहिए जिनके विवाह में किसी प्रकार की परेशानी चल रही है। परिवार की सुख-समृद्धि की कामना से यह व्रत दंपती को जोड़े से करना चाहिए। इस वर्ष 2020 के श्रावण माह में चार मंगलवार आएंगे। ये चार मंगल 7, 14, 21 और 28 जुलाई को आएंगे।
आइए जानते हैं कैसे किया जाता है मंगला गौरी व्रत...
मां गौरी की विशेष पूजा
श्रावण माह के प्रत्येक मंगलवार को मां गौरी की विशेष पूजा की जाती है। यह व्रत मंगलवार को करने के कारण इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। इस दिन मां गौरी की विधि विधान से पूजा कर उन्हें सुहाग की सामग्री भेंट की जाती है। पूरा दिन व्रत रखते हुए मां गौरी की प्रतिमा को फलों और मिष्ठान्न् का नैवेद्य लगाकर 16 कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन करवाया जाता है और यथाशक्ति उन्हें उपहार भेंट किए जाते हैं।
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मंगल गौरी व्रत की विधि
श्रावण माह के प्रत्येक मंगलवार को प्रात: स्नान कर मां गौरी की प्रतिमा या तस्वीर को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। आटे से 16 दीपक बनाकर उन्हें प्रज्जवलित कर देवी के सामने रखें। आटे के सोलह लड्डू, पान, फल, फूल, लौंग, इलायची और सुहाग की सामग्रियों (चुनरी, हल्दी, मेहंदी, काजल, कांच, कंघी आदि) को देवी को भेंट करेंं। पूजा करके मंगला गौरी व्रत की कथा सुनें। पूजा पूर्ण होने के बाद ये सभी वस्तुएं किसी सुहागिन ब्राह्मणी को भेंट करें। साथ ही गौरी प्रतिमा को नदी या तालाब में विसर्जित कर दें। इस दिन यह अवश्य ध्यान रखें कि इस पूजा में उपयोग की जाने वाली सभी वस्तुएं सोलह की संख्या में होनी चाहिए। अंतिम मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन करें।
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मंगला गौरी व्रत की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक गांव में बहुत धनी व्यापारी रहता था। विवाह के कई वर्षों बाद बड़ी मन्नतों से उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। परंतु उस बच्चे को श्राप था कि 16 वर्ष की आयु में सर्प के काटने के कारण उसी मृत्यु हो जाएगी। संयोगवश व्यापारी के पुत्र का विवाह सोलह वर्ष से पूर्व मंगला गौरी का व्रत रखने वाली एक स्त्री की पुत्री से हुआ। व्रत के फलस्वरूप उसकी पुत्री के जीवन में कभी वैधव्य दुख नहीं आ सकता था। इस प्रकार व्यापारी के पुत्र से अकाल मृत्यु का साया हट गया तथा उसे दीर्घायु प्राप्त हुई।
व्रत से लाभ
- मंगला गौरी व्रत सुखी वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है। यदि किसी की जन्मकुंडली में विवाह से जुड़ी कोई बाधा है तो उसके विवाह में निश्चित रूप से देरी होती है या कोई न कोई रूकावट आती रहती है। ऐसे में उन्हें मंगला गौरी व्रत जरूर करना चाहिए।
- जिन दंपतियों का वैवाहिक जीवन ठीक नहीं चल रहा हो, उन्हें इस व्रत के प्रभाव से दांपत्य जीवन की परेशानियां दूर हो जाती है। पति-पत्नी में आपसी प्रेम बढ़ता है।
- कुंवारी कन्याएं यदि इस व्रत को करें तो उन्हें योग्य और मनचाहा वर प्राप्त होता है।
- यह व्रत सौभाग्य के साथ सुख भी प्रदान करता है। आर्थिक कमी इससे दूर होती है।
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