Sawan 2020: शिव ने नंदी को सजा दी बाहर खड़े रहने की
नई दिल्ली। सजा एक ऐसा शब्द है, जिससे सभी का पाला कभी- ना - कभी जरूर पड़ा है। बात पढ़ाई के दिनों में शिक्षकों को नाराज करने की हो या अभिभावकों को गुस्सा दिला देने की, सजा झट मिलना तय हो जाता है। और इस में भी सबसे ज्यादा आम सजा है- बाहर जाकर खड़े हो जाओ। और यह सजा बेवजह भी नहीं मिला करती। कोई - ना - कोई ऐसा कारनामा किया गया होता है, जिससे हमारे बड़े हमसे नाराज हो जाते हैं और सजा दे देते हैं।
कभी हमने उनकी कोई बात ना मानी होती है या कभी कोई गलती हो जाती है या कई बार तो हम समझ ही नहीं पाते कि गलती हुई तो हुई कहां। कुछ ऐसा ही भगवान शिव के वाहन और उनके परम प्रिय सहायक नंदी के साथ हुआ।
आज इसी रोचक घटना का आनंद लेते हैं
एक बार की बात है। भगवान शिव हिमालय पर ध्यान लगाने की तैयारी कर रहे थे। तभी उन्हें भान हुआ कि कुछ अवांछित लोग हिमालय की सीमा में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे हैं। बात साधारण थी, तो उन्होंने नंदी से कहा कि जाकर उन्हें मना कर दो कि इस क्षेत्र में आना वर्जित है। नंदी जी को पहली बार इस तरह का साहसिक कार्य अकेले करने का सौभाग्य मिला था, सो वे जोश से भर गए। वे तुरंत वहां पहुंच गए और उन लोगों से भिड़ गए। हिमालय की सीमा में प्रवेश करने वाले वे लोग असामाजिक नहीं थे, वे किसी गलत मंशा से नहीं, बल्कि जड़ी- बूटियों की खोज में चले आ रहे थे। नंदी जी अति उत्साह में भरे थे, तो वे उन लोगों को पीटकर, डराकर आ गए। मन- ही -मन वे अत्यंत प्रसन्न थे कि आज प्रभु मुझ पर प्रसन्न होंगे और प्रशंसा करेंगे।
नंदी महाप्रभु के पास पहुंचे
उधर, आदिदेव महाशिव से जगत की कौन- सी घटना छिपी है? वे नंदी से क्रोधित हो गए। जब नंदी महाप्रभु के पास पहुंचे, तब शिव ने क्रुद्ध होकर कहा- नंदी, मैंने तुम्हें उन लोगों को केवल मना करने भेजा था, ना कि घायल करने। मैं तुमसे अत्यंत रूष्ट हूं। तुमने मेरी आज्ञा की अवहेलना की है।
अब से तुम मेरे मंदिर या घर में प्रवेश ना कर सकोगे
तुम मेरे प्रिय पात्र हो, इसीलिए मैं तुम्हें अपनी सेवा से मुक्त नहीं कर रहा, किंतु अब से तुम मेरे मंदिर या घर में प्रवेश ना कर सकोगे। आज से तुम मेरे घर के बाहर ही खड़े रहोगे। यही तुम्हारी आजन्म सजा है। इस तह बात ना मानने के कारण नंदी हमेशा के लिए शिवालय से बाहर कर दिए गए। आज भी नंदी की मूर्ति शिवालय के बाहर ही बनाई जाती है।
शिक्षा
तो देखा दोस्तों, बड़ों की, ज्ञानी की, मानी की और मालिक की बात ना मानने का क्या अंजाम होता है? तो ध्यान रखें, उस व्यक्ति के आदेश की अवहेलना कभी ना करें, जिसका क्रोध आपको जीवन भर की सजा दे सकता है। बात मानने की आदत डालें, मन की ना करें क्योंकि तभी आप सबके प्रिय बन सकते हैं।
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