Sawan 2020: सुंदर इमारतों को कोई नहीं बिगाड़ता
नई दिल्ली। सांसारिक जीवन में कई बार यह बात देखने को मिलती है कि जो पहले से दुखी है, वह और दुख पाता है। इसके ठीक विपरीत सुखी के पास और सुख खिंचा चला आता है। ऐसे में आम इंसान के मन में असंतोष पनपना स्वाभाविक- सी बात है। ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हर व्यक्ति के मन में यह बात आती है कि मैंने ऐसे कौन से पाप किए हैं, जो कटते ही नहीं।
मेरे द्वारा ऐसी कौन सी गलती हो रही है कि ईश्वर मुझसे रूष्ट रहते हैं? यही प्रश्न एक बार मां पार्वती ने भगवान शंकर से भी किया था।
शंकर जी ने इस बात का क्या उत्तर दिया, आज की कथा से जानते हैं-
एक बार देवी पार्वती और भगवान भोलेनाथ चर्चा कर रहे थे। इस दौरान पार्वती जी ने कहा कि प्रभु! सृष्टि में एक विचित्र तथ्य देखती हूं और उसका कारण नहीं समझ पाती। आज आप ही मुझे बताएं। क्या कारण है कि जो दुखी होता है, वह और दुख पाता है और जो पहले से ही सुखी है, उसके सुख बढ़ते ही जाते हैं। यह तो मुझे अन्याय मालूम पड़ता है। देवी की बात सुनकर महाशिव ने कहा कि हे पार्वती! इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए हमें स्वयं मृत्युलोक चलना होगा। यहां रहकर तुम मेरी बात नहीं समझ सकोगी।
पति-पत्नी आम व्यक्तियों का वेष बनाकर धरती पर आ गए
इस चर्चा के बाद दोनों पति-पत्नी आम व्यक्तियों का वेष बनाकर धरती पर आ गए। उन्होंने एक गांव के बाहर डेरा डाला। भगवान ने कहा कि पार्वती! जब हम धरती पर आए हैं, तो हमें यहां के लोगों की तरह ही व्यवहार भी करना होगा। धरती पर सब भोजन करते हैं, तो हमें भी भोजन करना होगा। ऐसा करते हैं कि मैं भोजन सामग्री लेकर आता हूं और तुम तब तक भोजन बनाने की व्यवस्था कर लो। ऐसा कहकर शिव जी चले गए।
मां पार्वती ने खाना बनाने के लिए स्थान साफ किया
इसके बाद मां पार्वती ने खाना बनाने के लिए स्थान साफ किया और चूल्हा बनाने के लिए गांव से ईट लेने गईं। वहां पहुंचकर उन्होंने कुछ खंडहर देखे, तो वहां से ईंट निकाल लाईं और चूल्हा बनाया। इतने में शिव जी भी आ गए, पर वे खाली हाथ थे। पार्वती जी ने पूछा कि भोजन सामग्री कहां है प्रभु! तब शिव हंसकर बोले- अब भोजन बनाने के आवश्यकता ना रही। तुम यह बताओ कि ईंट कहां से लाईं? तब पार्वती जी ने कहा कि गांव के टूटे मकानों से निकाल कर लाई। शिव ने कहा कि जो मकान पहले से टूटे हुए थे, उन्हें और क्यों तोड़ा? अच्छे घरों से ईंट निकाल लातीं। पार्वती ने कहा कि भगवान! सुंदर चीज को कैसे तोड़ा जा सकता है? अब शिव जी बोले-
सुंदर कर्मों का परिणाम भी सुंदर होता है
यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है पार्वती! जो लोग सुंदर कर्मों की इमारत बनाते हैं, उन्हें परिणाम भी सुंदर मिलते जाते हैं। इसके विपरीत जो लोग बुरे कर्म करते हैं, वे परिणाम भी वैसा ही पाते हैं। फल हमेशा कर्मों के अनुरूप ही मिलते हैं। अच्छे फल चाहिए हों, तो कर्म भी सुंदर करने होंगे।
शिक्षा
दोस्तों, इस संसार में कर्म ही हमारे सच्चे मित्र हैं और वही हमारी असली कमाई के स्रोत हैं। हम जैसे कर्म करेंगे, परिणाम भी हमें वैसे ही मिलेंगे। तो अपने सुकर्मोें की सुंदर इमारत बनाइए और जीवन में भरपूर सुख पाइए।
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