क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Saphala Ekadashi 2019: सारे कार्यों में सफलता दिलाएगी सफला एकादशी

By Pt. Gajendra Sharma
Google Oneindia News

नई दिल्ली। पौष माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली वर्ष 2019 की अंतिम एकादशी 22 दिसंबर रविवार को है। इसे सफला एकादशी कहा जाता है। अपने नाम के अनुसार यह एकादशी प्रत्येक कार्य में सफलता दिलाने वाली मानी गई है। इस एकादशी के देवता श्री नारायण हैं। विधिपूर्वक इस व्रत को करने से जीवन में कभी असफलता का सामना नहीं करना पड़ता। इस व्रत में ऋ तु के अनुकूल फल, नारियल, नीबू, नैवेद्य आदि 16 वस्तुओं से पूजन कर रात्रि जागरण किया जाता है। इस एकादशी के व्रत के समान यज्ञ, तीर्थ, दान, तप और कोई दूसरा व्रत नहीं है। कहा जाता है पांच हजार वर्ष तप करने से जो फल मिलता है, उससे भी अधिक फल सफला एकादशी का व्रत करने से मिलता है।

सफला एकादशी व्रत कथा

सफला एकादशी व्रत कथा

एक समय चंपावती नगरी में महिष्मान नाम का राजा राज्य करता था। उसके चार पुत्र थे। उन सबमें लुम्पक नाम वाला बड़ा राजपुत्र महापापी था। वह सदा परस्त्री और वेश्यागमन तथा दूसरे बुरे कामों में अपने पिता का धन नष्ट किया करता था। सदैव ही देवता, ब्राह्मण व वैष्णवों की निंदा किया करता था। जब राजा को लुम्पक के कुकर्मों का पता चला तो उन्होंने उसे अपने राज्य से निकाल दिया। जीवनयापन के लिए उसने चोरी करने का निश्चय किया। दिन में वह वन में रहता और रात्रि को अपने पिता की नगरी में चोरी करता तथा प्रजा को तंग करने और उन्हें मारने का कुकर्म करता। उसके इस तरह के कार्यों से सारी नगरी भयभीत हो गई। वह वन में रहकर पशु आदि को मारकर खाने लगा। नागरिक और राज्य के कर्मचारी उसे पकड़ लेते किंतु राजा के भय से छोड़ देते।

यह पढ़ें: Vivah Muhurat 2020: ये हैं साल 2020 के शुभ-विवाहयह पढ़ें: Vivah Muhurat 2020: ये हैं साल 2020 के शुभ-विवाह

कृष्ण पक्ष की दशमी

कृष्ण पक्ष की दशमी

वन में एक अतिप्राचीन पीपल का विशाल वृक्ष था। लोग उस वृक्ष की पूजा भगवान के समान करते थे। उसी वृक्ष के नीचे लुम्पक रहा करता था। पौष कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन शीत अधिक होने के कारण लुम्पक सारी रात सो नहीं सका। उसके हाथ-पैर अकड़ गए। सूर्योदय होते-होते वह मूर्छित हो गया। दूसरे दिन एकादशी को मध्याह्न के समय सूर्य की गर्मी पाकर उसकी मूर्छा दूर हुई। गिरता-पड़ता वह भोजन की तलाश में निकला। पशुओं को मारने में वह समर्थ नहीं था अत: पेड़ो के नीचे गिरे हुए फल उठाकर वापस उसी पीपल वृक्ष के नीचे आ गया। उस समय तक भगवान सूर्य अस्त हो चुके थे। वृक्ष के नीचे फल रखकर कहने लगा- हे भगवन! अब आपके ही अर्पण हैं ये फल। आप ही तृप्त हो जाइए। उस रात्रि को दु:ख के कारण रात्रि को भी नींद नहीं आई।

सारे पाप नष्ट कर दिए

उसके इस अनजाने में किए गए उपवास और जागरण से भगवान अत्यंत प्रसन्न् हो गए और उसके सारे पाप नष्ट कर दिए। दूसरे दिन प्रात: एक अतिसुंदर घोड़ा अनेक सुंदर वस्तुओं से सजा हुआ उसके सामने आकर खड़ा हो गया। उसी समय आकाशवाणी हुई कि हे राजपुत्र! श्री नारायण की कृपा से तेरे सब पाप नष्ट हो गए हैं। अब तू अपने पिता के पास जाकर राज्य प्राप्त कर। ऐसी वाणी सुनकर वह अत्यंत प्रसन्न् हुआ और दिव्य वस्त्र धारण करके पिता के पास गया। पिता ने प्रसन्न् होकर उसे समस्त राज्य का भार सौंप दिया और वन का रास्ता लिया। अब लुम्पक शास्त्रानुसार राज्य करने लगा। अत: जो मनुष्य इस परम पवित्र सफला एकादशी का व्रत करता है उसके सारे पापों का नाश होकर अंत में मुक्ति मिलती है। सफला एकादशी के माहात्म्य को पढ़ने से अथवा श्रवण करने से मनुष्य को अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।

 सफला एकादशी समय

सफला एकादशी समय

  • एकादशी तिथि प्रारंभ- 21 दिसंबर सायं 5.15 से
  • एकदशी तिथि पूर्ण- 22 दिसंबर दोपहर 3.22 तक
  • एकादशी पारण- 23 दिसंबर सुबह 7.10 से 9.14 तक

यह पढ़ें: Griha Pravesh Muhurt in 2020: जानिए 2020 के गृहप्रवेश मुहूर्तयह पढ़ें: Griha Pravesh Muhurt in 2020: जानिए 2020 के गृहप्रवेश मुहूर्त

Comments
English summary
Saphala Ekadashi is an auspicious fasting day observed on the ‘ekadashi’ (11th day) of the Krishna Paksha (the waning phase of moon) during the month of ‘Paush’ in the traditional Hindu calendar.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X