Sankasthi or Angarki Chaturthi 2017: आज है भगवान गणेश का दिन, जानिए पूजा विधि और कथा
नई दिल्ली। आज गणेश जी का व्रत यानी कि संकष्टी चतुर्थी है, इसे अंगार की चतुर्थी भी कहते है क्योंकि आज मंगलवार है और ऐसा कहा जाता है कि मंगल के दिन अगर चतुर्थी पड़े तो वो अंगार की चतुर्थी होती है। दक्षिण भारत में इस पर्व को काफी वृहद स्तर पर बनाया जाता है, लोग आज सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत करते हैं। अंगार की चतुर्थी को संकट हारा चतुर्थी के भी नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होता है। गणेश जी तो वैसे भी विघ्नहर्ता हैं, उनकी पूजा करने से इंसान के सारे संकट दूर हो जाते हैं। व्रतियों को शाम के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा सुननी चाहिए। रात के समय चन्द्रोदय होने पर गणेश जी का पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। आज सुबह-सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर जातक को स्वच्छ वस्त्र धारण करें कोशिश करें कि लाल या पीले रंग का वस्त्र धारण करें क्योंकि ये इंसान के उत्साह और खुशी को दिखाता है। फिर गणेश जी की पूजा अपने सामार्थ्य अनुसार फूल, फल, मिठाई, दूध और मोदक से करें।
चांद का दर्शन करें और उसे अर्ध्य दें
पूजा के दौरान 'ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है' करते हुए पूजा शुरू करनी चाहिए। सायंकाल में व्रतधारी संकष्टी गणेश चतुर्थी की कथा पढ़े अथवा सुनें और सुनाएं। तत्पश्चात गणेशजी की आरती करें और क्षमायाचना के बाद पूजा समाप्त करें और उसके बाद चांद का दर्शन करें और उसे अर्ध्य दें और इसके बाद अपना व्रत खोलें।
कथा
ऋषि भारद्वाज और माता पार्वती के पुत्र अंगारक एक महान ऋषि और भगवान गणेश के भक्त थे। उन्होनें भगवान गणेश की पूजा करके उनसे आशीर्वाद मांगा। माघ कृष्ण चतुर्थी के दिन भगवान गणेश ने उन्हें वरदान मांगने के लिए कहा। उन्होनें अपनी इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि वो चाहते हैं कि उनका नाम हमेशा के लिए भगवान गणेश से जुड़ जाए। इसके बाद से हर मंगलवार को होने वाली चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी के नाम जाना जाने लगा और जो भी इस दिन भगवान गणेश की पूजा करता है और उनका व्रत करता है उसके सभी संकट खत्म हो जाते हैं।
Read Also:Lord Hanuman: जानिए बजरंग-बली को क्यों कहते हैं हनुमान?