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व्यक्ति धन से नहीं, मन से महान बनता है

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। संसार में हर व्यक्ति की कामना होती है कि वह प्रसिद्ध हो, लोग उसका नाम जानें, उसे महान माना जाए, पर इस इच्छा की पूर्ति कैसे हो सकती है? बहुत ही सीधी सी बात है, व्यक्ति धन से नहीं, मन से महान बनता है। जिसके स्वभाव में बड़प्पन होता है, जिसके दिल में संसार के लिए कुछ करने की, दूसरों के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर की इच्छा होती है, उसे अलग से प्रयास करने की आवश्यकता नहीं होती।

व्यक्ति धन से नहीं, मन से महान बनता है

अपनी स्वाभाविक त्याग भावना से वह सहज ही सबके दिलों में बस जाता है, दुनिया में अमर हो जाता है। इस संबंध में आज आपको तीन पहाड़ों की कहानी सुनाते हैं, जो सहज ही आपको त्याग की महानता सिखा देगी-

विस्तृत जंगल में तीन बहुत बड़े पहाड़ थे

बहुत समय पहले की बात है। एक घने और विस्तृत जंगल में तीन बहुत बड़े पहाड़ थे। उस जंगल का अपना कोई नाम ना था, ये पहाड़ ही उस जंगल की पहचान थे। एक बार इंद्रदेव उस जंगल में पधारे। जब उन्हें पता चला कि इस स्थान का कोई नाम नहीं है, तो उन्होंने तीनों पहाड़ों से कहा कि वे इस जगह का नामकरण उनमें से किसी एक के नाम पर ही करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने तीनों से एक एक वरदान मांगने को कहा और कहा कि एक साल बाद वे पुनः आकर देखेंगे और जिसका प्रभाव सबसे अधिक होगा, उसी के नाम पर इस स्थान को जाना जाएगा।

तीनों को वरदान देकर इंद्रदेव स्वर्गलोक चले गए

इंद्रदेव की बात सुनकर पहले पर्वत ने कहा कि प्रभु, मुझे इतना बड़ा कर दीजिए कि मैं हर दिशा से सबको दिखूं। इंद्रदेव ने तत्काल उसे विशाल बना दिया। दूसरे पर्वत ने कहा कि प्रभु, मुझे हरियाली से भर दीजिए। हर तरह के पेड़ पौधे मेरी सीमा में लगें। इंद्रदेव ने उसे तुरंत ही हरा भरा कर दिया। इसके बाद तीसरे पहाड़ की बारी आई। उसने वरदान मांगा कि प्रभु, मुझे समाप्त कर दीजिए, एकदम समतल कर दीजिए, ताकि लोग मुझ पर बस सकें। तीनों को वरदान देकर इंद्रदेव स्वर्गलोक चले गए।

एक पहाड़ सूख गया और दूसरा जानवरों का घर बन गया

एक साल के बाद इंद्रदेव वापस उस स्थान पर आए। उन्होंने देखा कि सबसे बड़ा पहाड़ सूखा पड़ा है। दूसरा पहाड़ अपनी हरियाली के कारण ढेरों जानवरों और पक्षियों का घर बन चुका है। इसी के साथ जब उन्होंने तीसरे पहाड़ की तरफ देखा, तो पाया कि वहां इंसानों की पूरी बस्ती बस चुकी है। सभी लोग उस स्थान पर बहुत सुखी हैं और आनंद मंगल में जीवन बिता रहे हैं। हर तरफ उल्लास है, जीवन के रंग बिखरे हैं मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया है। बहुत ही स्वाभाविक बात है कि इंद्रदेव ने उस तीसरे पहाड़ के नाम पर ही उस स्थान का नामकरण कर दिया। वह पहाड़ अब कहीं नहीं था, पर स्वयं को मिटाकर वह लोगों के जीवन में उतर आया था।

त्याग ही लोगों को अमर करता है

यही संसार में नाम कमाने, महान बनने की एकमात्र राह है। अपने अस्तित्व को दूसरों के लिए मिटा देने वाले ही संसार में पूजे जाते हैं। यह त्याग ही है, जो किसी भी व्यक्ति को लोगों के दिल में अमर कर देता है। तो अब जब भी मौका मिले, छोटा या बड़ा, इसमें ना पड़ें, बस स्थिति के अनुरूप दिल बड़ा करें और त्याग करें। परिणाम शीघ्र ही आपके सामने होगा।

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English summary
many entrepreneurs have achieved incredible success today. But real success is never without sacrifice.
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