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महात्मा गांधी ने कहा था- सर्वस्व समर्पण होता है अमूल्य

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। महात्मा गांधी भारत की आधारशिला थे, हैं और रहेंगे। वे कल भी हमारे बीच थे, अपने विचारों के माध्यम से वे आज भी हमारे बीच हैं और हमेशा रहेंगे। महात्मा के महात्म्य ने उन्हें कालजयी बना दिया है। आज भारत ही नहीं, वरन् संपूर्ण विश्व गांधी जी के आदर्शों का लोहा मानता है, उनके विचारों को अपनाता है, उनकी महानता के समक्ष नमन करता है। इसका कारण यह नहीं है कि बापू महान राजनीतिज्ञ थे, बल्कि वे एक असल आम इंसान थे और हर इंसान को अपने समकक्ष मानते थे, हर इंसान का मूल्य जानते थे। बापू कैसे जन-जन के मन से परिचित थे, हर इंसान की भावना को समझते, उसकी कद्र करते थे, आज इसी संबंध में एक घटना सुनते हैं-

महात्मा गांधी ने कहा था- सर्वस्व समर्पण होता है अमूल्य

एक बार की बात है, महात्मा गांधी उड़ीसा में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। बापू का भाषण समाप्त होने के बाद एक बहुत बूढ़ी महिला भीड़ में किसी तरह जगह बनाती हुई आगे आई। उसके बाल पूरी तरह सफेद हो चुके थे और कमर कमान की तरह झुकी हुई थी। मैले कपड़े पहने वह औरत घिसटती हुई, धक्के खाती किसी तरह मंच तक पहुंची और बोली- मुझे गांधी जी से मिलना है। एक बार उन्हें पास से देखना है।

बापू! मैं भी देश के काम में दान कर सहयोग करना चाहती हूं

उसकी आवाज बापू तक पहुंच गई। उन्होंने स्वयं उसे मंच पर बुलाया। वह वृद्धा गांधी जी के पैरों पर गिर पड़ी और बोली- बापू! मैं भी देश के काम में दान कर सहयोग करना चाहती हूं। उसने कांपते हाथों से अपनी साड़ी के पल्लू का सिरा खोला और उसमें से तांबे का एक सिक्का निकाल कर गांधी जी के हाथों में थमा दिया। गांधी जी ने उस सिक्के को अपने माथे से लगाया और अपनी जेब में रख लिया।

बापू ने सिक्का देने से मना कर दिया

उन दिनों जन सहयोग की समस्त राशि का हिसाब-किताब जमनालाल बजाज जी रखा करते थे। उन्होंने बापू से वह सिक्का मांगा, पर बापू ने साफ मना कर दिया। जमनालाल जी ने हंसते हुए कहा- बापू! लाखों रूपया मेरे हाथ में आप निसंकोच थमा देते हैं, फिर इस सिक्के में ऐसा क्या है, जो मैं इसे नहीं ले सकता? बापू ने मुस्कुरा कर कहा- वह सारा दान, जो आपके हाथों में पहुंचता है, वह हमारे देश के लखपति लोगों की कुल संपत्ति का एक प्रतिशत भी नहीं होता। यदि कोई लखपति इंसान हजार-दो हजार का दान देता है, तो उसकी संपत्ति या जीवन स्तर पर इसका कोई असर नहीं पड़ता, पर वह वृद्धा अपने जीवन की कुल जमा-पूंजी मुझे सौंप गई है। ना जाने कितने दिन भूखे रहकर उसने यह पूंजी जोड़ी होगी। एक तरह से वह अपना सर्वस्व देश सेवा के लिए मुझे अर्पित कर गई है। इसीलिए यह सिक्का मेरे लिए अमूल्य है। मैं इस सिक्के को हमेशा बचा कर रखूंगा और किसी ऐसे काम में ही लगाउंगा, जो इसकी प्राप्ति की तरह अमूल्य होगा।

शिक्षा

तो ऐसे थे हमारे बापू, जन-जन के मन के जानकार, हर एक की भावनाओं को समझने वाले। तभी तो वो बापू हैं, ना केवल हमारे, बल्कि इस धरती के बापू।

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English summary
Read Mahatma Gandhi and Precious Copper coin Story , here is Inspirational Short Story, Please Have a look.
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