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जानिए हनुमान जी की आठ सिद्धियां व उनका महत्व
लखनऊ। राम जी के अनन्य भक्त हनुमान जी दिन भर तो राम जी की सेवा करते-रहते है और रात्रि में अपने भक्तों की व्यथा व समस्यायों को सुनकर उनका निदान करते है। हनुमान जी को जनकी माता ने आठ सिद्धियों का वरदान दिया है। संकट हरने वाले हनुमान जी के पास अष्ट सिद्ध अर्थात आठ सिद्धियां थी। वैसे तो दस दिशाएं मानी गई है किन्तु मूलतः आठ दिशाएं ही प्रयोग में आती है। अतः हनुमान जी का आठों दिशाओं पर आधिकार था। संकटों को हरने वाले देवता हनुमान जी कलयुग में सबसे ज्यादा प्रभावशाली व चमत्कारी है।
आइए जानते है कौन कौन सी थी हनुमान जी के पास आठ सिद्धियां?
हनुमान जी की आठ सिद्धियां
- अणिमा-जिससे साधक किसी को दिखाई नही पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ मे प्रवेश कर.जाता है। हनुमान जी ने इसी सिद्धि का प्रयोग करके स्क्षूम धारण करके सुरसा के मुख में प्रवेश किये थे।
- महिमा-इस सिद्धि में योगी अपने-आपको को बहुत बड़ा बना देता है। इसीलिए हनुमान जी बड़े से बड़े रूप में परिवर्तित हो जाते है।
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गरिमा, लघिमा और प्राप्ति
- गरिमा- इस सिद्धि से साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है। हनुमान जी भी अपने रूप को जब चाहते है, भारी-भरकम बना लेते है।
- लघिमा-यह एक सिद्धि है,जिससे आप जितना चाहे उतना अपने-आपको हल्का बना सकते है।
- प्राप्ति-प्रत्येक कामना को पूर्ण करने के लिए इस सिद्धि को होना आवश्यक है।
- प्राकाम्य-इस सिद्धि से इच्छा अनुसार आप पृथ्वी में समा सकते है व आकाश मे उड़ सकता है। हनुमान जी भी आकाश में उड़कर एक बार सूर्य को निगल चुके है और दूसरी बार संजीवनी लाकर लक्ष्मण की जान बचाये थे।
- ईशित्व-सब पर शासन का सामर्थय देने वाली यह सिद्धि भी हनुमान जी के पास थी। तभी तो कलयुग में हनुमान भक्तों की संख्या अधिक है।
- वशित्व- किसी को भी अपने वश में करने वाली वशित्व सिद्धि भी हनुमान जी के अधानी थी।
प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व
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English summary
To overcome complex problems in life one should worship lord Hanuman.Here is Hanuman Mantra, Sadhna and Siddhi.
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