Raksha Bandhan 2019: एक धागा भाभी के भी नाम...जानिए क्यों?
नई दिल्ली। श्रावण मास की पूर्णिमा को भाई-बहन के प्यार का त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाता है। इस वर्ष रक्षाबंधन 15 अगस्त दिन गुरुवार को है। रक्षाबंधन का त्योहार गुरुवार को होने से इसका महत्व और बढ़ गया है। इस दिन भद्रा नहीं है और न ही किसी प्रकार का कोई ग्रहण है। इस वजह से इस वर्ष का रक्षाबंधन शुभ संयोग वाला है।
यह पर्व है वचनों का...
रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं बल्कि यह पर्व है वचनों का, प्रेम का, त्याग का और भरोसे का, वो भरोसा जो पूरी उम्र के लिए मात्र दो धागों में सिमटा होता है, ये बंधन ये सिखाता है कि किसी भी रिश्ते की नींव ही विश्वास पर टिकी होती है। आमतौर पर बहनें इस दिन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधा करती हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि राखी केवल भाईयों को ही बांध सकते हैं।
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'चूड़ा राखी' या 'लूंबा राखी'
दरअसल राखी के त्योहार को पूरे भारत में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है, आपको जानकर हैरत होगी, राजस्थान में राखी केवल भाईयों को ही नहीं बल्कि भाभियों को भी बांधा जाती है, जिसे 'चूड़ा राखी' या 'लूंबा राखी' कहते हैं। कहते हैं कि शादी के बाद भाई के सुख-दुख की साथी उसकी पत्नी होती है इसलिए पति का वचन भी पत्नी का वचन ही हुआ इसलिए भाभी को राखी बांधने की परंपरा है यहां।
'कान्हा जी' या 'राम जी' को राखी बांधते हैं
परंपराओं के देश में कई जगह पंडितगण भी भक्तों को रक्षा-सूत्र बांधते हैं तो कई लोग 'कान्हा जी' या 'राम जी' को राखी बांधते हैं और उनसे अपने और अपने परिवार को खुश रखने और रक्षा करने की प्रार्थना करते हैं।
जनेऊ
बदलने
की
परंपरा
है...
यही नहीं महाराष्ट्र राज्य में यह त्योहार नारियल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन मराठी लोग नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपने जनेऊ बदलते हैं और समुद्र की पूजा करते हैं। तो कुछ आदिवासी समुदाय इस दिन पेड़ों को राखी बांधकर उनसे धरा को हरा-भरा रखने की प्रार्थना करते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं।
रक्षाबंधन का मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 14 अगस्त को 15:45 बजे से हो रहा है। इसका समापन 15 अगस्त को 17:58 पर हो रहा है। ऐसे में बहनें भाइयों को 15 अगस्त के सूर्योदय से शाम के 5:58 तक राखी बांध सकेंगी।
खास बातें
रक्षाबंधन सावन का आखिरी दिन होता है इसीकारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं। राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बांधती हैं लेकिन हमारे देश में ब्राह्मणों, गुरुओं और नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बांधी जाती है। देश में कहीं जगह वृक्ष को और भगवान को भी राखी बांधने की परंपरा है। इस दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरुष भाईचारे के लिये एक दूसरे को भगवा रंग की राखी बांधते हैं।
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