Raksha Bandhan 2018: जानिए रक्षा-सूत्र से जुड़ी खास बातें
नई दिल्ली। भाई-बहन के निस्वार्थ प्रेम की अभिव्यक्ति का दिन रक्षाबंधन श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। श्रावणी पूर्णिमा 26 अगस्त को है, इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। इस प्रेम और वचन के खूबसूरत त्योहार के बारे में चलिए जानते हैं कुछ खूबसूरत बातें...
रक्षाबंधन: ये बंधन तो प्यार का बंधन है
राखी सामान्यतः बहनें भाई को ही बांधती हैं लेकिन हमारे देश में ब्राह्मणों, गुरुओं और नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति को भी राखी बांधी जाती है। देश में कहीं जगह वृक्ष को और भगवान को भी राखी बांधने की परंपरा है। इस दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरुष भाईचारे के लिये एक दूसरे को भगवा रंग की राखी बांधते हैं।
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रक्षासूत्र के वक्त खास श्लोक का पढ़ा जाता है
हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बांधते समय पंडित या आचार्य संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण करते हैं, जो कि राजा बलि से जुड़ा हुआ है जिसमें कहा जाता है जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बांधता हूं, तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।
राखी प्यार और वचन का त्योहार है
भारत के कई राज्यों में इस दिन बहनों की ओर से भाई के कान के ऊपर भोजली या भुजरियां लगाने की परंपरा है, जो कि भाईयों के लंबी उम्र के लिए किया जाता है। राखी प्यार और वचन का त्योहार है इसलिए इसका प्रयोग भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में जन जागरण के लिये किया गया था, जो कि गुरूदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने चलाया था।
इस दिन हिमानी शिवलिंग भी आकार ग्रहण करता है...
अमरनाथ यात्रा भी रक्षाबंधन के दिन पूरी होती है। माना जाता है कि इसी दिन हिमानी शिवलिंग भी आकार ग्रहण करता है। महाराष्ट्र राज्य में यह त्योहार नारियल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन मराठी लोग नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपने जनेऊ बदलते हैं और समुद्र की पूजा करते हैं। राजस्थान में इस दिन रामराखी और चूड़ाराखी या लूंबा बांधने का रिवाज़ है।
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