आज भी रहस्यमयी है कैलाश पर्वत, क्या अदृश्य शक्तियां रोकती हैं मार्ग
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की कैलाश मानसरोवर यात्रा इस वक्त सुर्खियों में हैं, भाजपा खेमे से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इस यात्रा को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं, इन्हीं चर्चाओं के बीच आज सुबह राहुल गांधी ने अपनी यात्रा से जुड़ा ट्वीट करके, लोगों को बातें करने का, एक और मौका दे दिया है, फिलहाल बयानबाजी तो चलती ही रहेगी लेकिन इससे पहले हम कैलाश पर्वत की बात करते हैं, जो कि भारतीयों के लिए आस्था का मानक है।
'सारे तीरथ सौ बार, कैलाश यात्रा एक बार'
कहा जाता है कि 'सारे तीरथ सौ बार, कैलाश यात्रा एक बार' इसलिए हर शिव भक्त की दिली ख्वाईश होती है कि वो अंतिम सांस से पहले एक बार कैलाश-मानसरोवर की यात्रा जरूर करे। लेकिन यह यात्रा बहुत ज्यादा कठिन मानी जाती है, जिसे करना आसान नहीं है।
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मानसरोवर तिब्बत की एक झील
वैसे आपको बता दें कि मानसरोवर तिब्बत की एक झील है, जिसका जिक्र राहुल गांधी ने आज अपने ट्वीट में भी किया है, ये पूरे इलाके में 320 वर्ग किलोमाटर के क्षेत्र में फैली है। इसके उत्तर में कैलाश पर्वत और पश्चिम में राक्षसताल है।
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कैलाश पर्वत पर ही भगवान शंकर ने समाधि लगाई थी
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि कैलाश पर्वत पर ही भगवान शंकर ने समाधि लगाई थी। जबकि तिब्बती बौद्धों का मानना है कि परम आनन्द के प्रतीक बुद्ध डेमचोक (धर्मपाल) कैलाश पर्वत के अधिष्ठाता देव हैं और वे कैलाश पर्वत पर ही निवास करते हैं। जैन धर्म के अनुयायी कैलाश को अष्टापद कहते हैं। उनका मानना है कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया था इसलिए केवल हिंदूओं के लिए ही नहीं बल्कि जैन और बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिए ये जगह बेहद पावन है।
आज भी रहस्यमयी है कैलाश पर्वत
वैसे कहा जाता है कि आज तक कोई मनुष्य कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया है। जिसने भी कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की, उसकी मृत्यु हो गई। इस पर्वत से जुड़ी काफी दंतकथाएं भी काफी प्रचलित हैं, इन्हीं कथाओं की सच्चाई का पता लगाने गए 1999 में रूस के नेत्र रोग विशेषज्ञ एर्नस्ट मुल्दाशिफ ने दावा किया था कि कैलाश पर्वत एक विशाल मानव निर्मित पिरामिड है, यह पिरामिड कई छोटे-छोटे पिरामिडों से घिरा हुआ है जो कि पारलौकिक गतिविधियों का केन्द्र है, लेकिन डॉक्टर के इस दावे को बाद में रूसी-अंग्रेजी द्विभाषी वेबसाइट ने खारिज कर दिया था।
ऊं का प्रतिबिंब दिखाई देता है
वैसे कैलाश पर्वत को लेकर काफी रहस्यमयी बातें भी कही जाती है, एक पर्वतारोही ने अपनी किताब में लिखा था कि इस पर्वत पर रहना असंभव था, वहां किसी अनजान वजह से दिशा भ्रम होता है और दिशा का ज्ञान नहीं रहता है, वहां पर चुंबकीय कंपास भी धोखा देने लगता है, शरीर के बाल और नाखून भी ज्यादा तेजी से बढ़ने लगते हैं वह जगह बहुत ही ज्यादा रेडियोएक्टिव है। इस पर्वत का आकार और इस पर जो बर्फ जमी हुई है वह ऊं के प्रतिबिंब के रूप में दिखाई देती है।
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