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Pitru paksha: श्राद्ध पक्ष 24 सितंबर से, पितरों को प्रसन्न करने के 16 दिन

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। पितरों को प्रसन्न करने और जाने-अनजाने में हमसे पितरों का अनादर हुआ हो तो उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनसे क्षमा मांगने का पर्व है श्राद्ध पक्ष। श्राद्ध पक्ष 16 दिनों का होता है जिसमें भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाता है और उसके बाद आश्विन माह के कृष्ण पक्ष के 15 दिन क्रमशः प्रतिपदा से अमावस्या तक की तिथियों के श्राद्ध किए जाते हैं। अंतिम दिन सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या होती है। श्राद्ध पक्ष में प्रत्येक तिथि के दिन लोग अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध करते हैं। जिन्हें अपने परिजनों की मृत्यु तिथि पता नहीं होती है वे सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करते हैं। इस वर्ष श्राद्ध पक्ष 24 सितंबर सोमवार से प्रारंभ हो रहे हैं।

क्या है श्राद्ध?

क्या है श्राद्ध?

श्राद्ध पक्ष हर वर्ष गणपति के विदा होने के बाद और शारदीय नवरात्र के प्रारंभ होने से ठीक पहले आता है। श्राद्ध का अर्थ है अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा। श्राद्ध पक्ष के दौरान अपने परिवार के उन मृत सदस्यों को याद किया जाता है, उनका सम्मान किया जाता है, उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है, जिनके कारण आज हम अपने वर्तमान जीवन को पा सके हैं। श्राद्ध पक्ष के दौरान अपने परिवार के पूर्वजों का तर्पण किया जाता है। इस तर्पण का उद्देश्य अपने पूर्वजों की आत्माओं को यह बताना होता है कि वे आज भी हमारे परिवार का हिस्सा हैं, आज भी हमारी स्मृतियों में शामिल हैं और आज भी हमें उनके आशीर्वाद की, उनकी प्रसन्नता की कामना है। हिंदू धर्म में माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में सभी पूर्वजों की आत्माएं अपने परिवारजनों की प्रसन्नता जानने जागृत होती हैं। इसीलिए इस दौरान उनका तर्पण करने से वे सीधे हमारी भावनाओं और भेटों को स्वीकार करती हैं और हमें पूरे मन से आशीर्वाद देती हैं, जिनसे हमारा जीवन उन्नति पाता है।

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तिथि के अनुसार करें श्राद्ध

तिथि के अनुसार करें श्राद्ध

श्राद्ध पक्ष के 16 दिन अलग-अलग व्यक्तियों के श्राद्ध के लिए सुनिश्चित किए गए हैं। घर में जिस सदस्य की मृत्यु जिस तिथि को हुई हो, उसी तिथि को श्राद्ध पक्ष में उसके नाम से तर्पण किया जाता है। श्राद्ध पक्ष के अंतिम यानि 16वें दिन को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जा सकता है, जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात ना हो। श्राद्ध पक्ष के दौरान कोई भी नया कार्य शुरू करना शुभ नहीं माना जाता है। यहां तक कि इस दौरान नए कपड़े तक खरीदने की मनाही रहती है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि जो व्यक्ति श्राद्ध नहीं करता, उसे पितृ दोष लगता है। उसके पूर्वज उससे अप्रसन्न हो जाते हैं और वह अनेक प्रकार के कष्टों में जीवन व्यतीत करता है।

ये रहेंगी श्राद्ध की तिथियां

ये रहेंगी श्राद्ध की तिथियां

  • 24 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध
  • 25 सितंबर को प्रतिपदा का श्राद्ध
  • 26 सितंबर को द्वितीया का श्राद्ध
  • 27 सितंबर को तृतीया का श्राद्ध
  • 28 सितंबर को चतुर्थी का श्राद्ध
  • 29 सितंबर को पंचमी का श्राद्ध
  • 30 सितंबर को षष्ठी का श्राद्ध
  • 1 अक्टूबर को सप्तमी का श्राद्ध
  • 2 अक्टूबर को अष्टमी का श्राद्ध
  • 3 अक्टूबर को नवमी का श्राद्ध
  • 4 अक्टूबर को दशमी का श्राद्ध
  • 5 अक्टूबर को एकादशी का श्राद्ध
  • 6 अक्टूबर को द्वादशी का श्राद्ध
  • 7 अक्टूबर को त्रयोदशी का श्राद्ध
  • 8 अक्टूबर को चतुर्दशी का श्राद्ध
  • 9 अक्टूबर को अमावस्या का श्राद्ध

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English summary
Pitru Paksha is a 15 lunar day’s period when Hindus pay homage to their ancestors, especially through food offerings.
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