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Pitru Paksha 2020: श्राद्ध से आती है समृद्धि

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। श्राद्ध कर्म भारतीय संस्कृति का वह पावन संस्कार है, जिसमें पूर्वजों का आवाह्न कर उन्हें एक बार पुन: जीवन में, हृदय में स्थान देकर संतुष्ट किया जाता है। श्राद्ध पूजा केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं है। यह अपने उन पूर्वजों को धन्यवाद देने का, उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने का तरीका है, जिनके कारण हम आज अपना सुखी वर्तमान पा सके हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब हम पूर्ण श्रद्धा से अपने पूर्वजों को याद कर उनका सम्मान करते हैं, तो वे प्रसन्न् होकर हमें जीवन में समस्त सुख-समृद्धि पाने का आशीर्वाद देते हैं। उनके आशीर्वाद से हमारे जीवन के दुख दूर होते हैं और हर तरह के सुखों की प्राप्ति होती है।

Pitru Paksha 2020: श्राद्ध से आती है समृद्धि

पितृ कर्म कैसे हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं, एक कथा के माध्यम से जानते हैं

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय किसी गांव में दो भाई रहा करते थे। बड़ा भाई सुखी-संपन्न् था। वहीं छोटे भाई के यहां दो समय के भोजन की व्यवस्था भी कठिनाई से हो पाती थी। छोटा भाई एवं उसकी पत्नी धार्मिक थे और अपनी स्थिति के अनुसार सभी धार्मिक कार्य किया करते थे। बड़ा भाई एवं उसकी पत्नी अपने घमंड में चूर रहते थे। ऐसे ही एक बार श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हुआ। बड़े भाई की पत्नी ने सोचा कि ये बढ़िया अवसर है। मैं शानदार भोज का आयोजन करती हूं और सारे मायके वालों को बुलाती हूं। इससे मेरे मायके में मेरी कितनी धाक बढ़ जाएगी। उसने अपने पति से विचार-विमर्श किया और मायके वालों को न्योता भेज दिया।।

पूर्वजों के आशीर्वाद से परिवार समृद्ध था

नियत तिथि पर उसने अपनी देवरानी को खाना बनाने के लिए बुला लिया। ढेरों व्यंजन बनवाकर मायके वालों के आने से पहले उसने देवरानी को वापस भेज दिया। देवरानी ने घर पहुंचकर देखा तो खाने को एक दाना भी नहीं था। उसने अपने पति को बुलाया और कंडा सुलगाकर केवल पानी फेरकर धूप दे दी। दोनों भाइयों के पूर्वज सबसे पहले बड़े भाई के घर पहुंचे तो पाया कि वहां पूजा नहीं हुई है, जबकि सब मेहमान खाना खा रहे हैं और भाई के गुण गा रहे हैं। इसके बाद वे छोटे भाई के घर गए और पाया कि पूजा तो हुई है, पर खाने को कुछ नहीं है। वे धूप की राख खाकर परिवार को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देकर चले गए। दोपहर में बच्चों ने जब खाना मांगा, तो देवरानी ने झूठे ही बोल दिया कि आंगन में हांडी ढंकी रखी है। उसमें जो रखा है, सब बांटकर खा लो। बच्चों ने जब हांड़ी खोली तो वह सोने की मोहरों से भरी थी। इसके बाद छोटे भाई के सब दुख दूर हो गए। पूर्वजों के आशीर्वाद से परिवार समृद्ध था और अब वे हर साल श्राद्ध पक्ष पर पूरी श्रद्धा से अपने पूर्वजों का ध्यान, धूप, तर्पण किया करते थे।

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English summary
Pitru Paksha will commence from 1st September till 17 September. Prosperity comes from shraddh.
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