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पितृपक्ष में जरूर रखें इन बातों का ख्याल वरना होगी दिक्कत

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। पितृपक्ष के सोलह दिन हमारे पूर्वजों के दिन होते हैं। मृत पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उन्हें संतुष्टि प्रदान करने के लिए 16 दिनों में श्राद्ध, तर्पण, अन्न दान जैसे कर्म किए जाते हैं। माना जाता है कि इससे पितृ प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों के अनुसार कुछ कार्य ऐसे भी होते हैं जिन्हें पितृपक्ष के दौरान नहीं करना चाहिए। आइए जानते हैं पितृपक्ष के दौरान क्या करें और क्या ना करें।

क्या करना चाहिए

क्या करना चाहिए

  • पूर्वजों की संतुष्टि के लिए पितृपक्ष के दौरान लोग श्राद्ध और तर्पण आदि तो करते ही हैं, पितृ सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं सेवा से। यह सेवा ऐसे लोगों की करना चाहिए जो निशक्त हों, दिव्यांग हों, आर्थिक रूप से कमजोर हों, गरीब हों, भिखारी हों, दीन-हीन, अनाथ हों। पितृपक्ष में अपने पूर्वजों के नाम से ऐसे लोगों को भरपेट भोजन अवश्य करवाएं। किसी पवित्र नदी के किनारे पितरों के लिए तर्पण करके ऐसे लोगों को भोजन करवाएं।
  • जल सेवा को शास्त्रों में भी सबसे बड़ी सेवा कहा गया है। अपने पितरों के नाम से सार्वजनिक स्थान पर प्याउ का निर्माण करवाएं। बोरिंग करवाएं। कुएं-बावड़ियों की साफ सफाई करवाएं ताकि लोग उसके शुद्ध जल का उपयोग कर सकें।

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पीपल का एक पौधा जरूर लगाएं

पीपल का एक पौधा जरूर लगाएं

  • शास्त्रों में वृक्षों को साक्षात देवता का दर्जा दिया गया है। पितरों के नाम से पौधारोपण करवाएं। बाग-बगीचों में फलदार, फूलदार पौधे लगवाएं। पीपल का एक पौधा पितृपक्ष के दौरान अवश्य लगाना चाहिए। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और आपके जीवन में भी तरक्की होने लगेगी।
  • पितृपक्ष के दौरान भागवत पुराण का पठन, पाठन, श्रवण करें। स्वयं भागवत कथा करवाएं या घर में स्वयं ही पढ़ लें।
  • गौशाला में गायों के लिए हरे चारे का इंतजाम करें। पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करवाएं।
  • क्या नहीं करना चाहिए

    क्या नहीं करना चाहिए

    • पितृपक्ष के दौरान आपके घर कोई भिखारी, साधु या गरीब बच्चे कुछ मांगने आएं तो उन्हें खाली हाथ ना लौटाएं। अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार उन्हें कुछ न कुछ वस्तु अवश्य दें।
    • गाय, श्वान, बिल्ली या अन्य जानवरों तथा पक्षियों को पितृपक्ष के दौरान सताना, मारना वर्जित है। जो व्यक्ति पितृपक्ष के दौरान निरीह प्राणियों को प्रताड़ित करता है, उसे भी कई गुना अधिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है।
    • पितृपक्ष के दौरान घर आए मेहमानों या अपने माता-पिता, गुरुजनों, वरिष्ठजनों, सम्माननीय व्यक्तियों का अपमान ना करें। उनसे दुर्व्यवहार ना करें। किसी भी स्त्री मां, बहन, बेटी, पत्नी, दोस्त और बच्चों का अपमान ना करें।
    • पितृपक्ष के दौरान झूठ बोलना, चोरी करना, पापकर्म करना, वेश्या गमन जैसे कार्य वर्जित हैं। यहां तक कि पति-पत्नी के लिए भी पितरों की श्राद्ध तिथियों में यौन संबंध बनाने की मनाही है।
    • पितृपक्ष के दौरान अन्न, जल और अन्य खाद्य पदार्थों का अपमान और उन्हें व्यर्थ फेंकने से बचाना चाहिए।

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English summary
Pitru Paksha is a 15 lunar day’s period when Hindus pay homage to their ancestors, especially through food offerings.
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