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Paush Putrada Ekdashi 2021 : पुत्रदा एकादशी आज, जानिए पूजाविधि, महत्व और कथा

By Pt. Gajendra Sharma
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Paush Putrada Ekdashi 2021 Today: पौष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी पुत्रदा एकादशी कहलाती है। इस एकादशी का व्रत संतान की प्राप्ति, संतान की आयु और आरोग्यता के लिए किया जाता है। पुत्रदा एकादशी 24 जनवरी 2021 रविवार को आ रही है। इस दिन भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजन कर उनसे उत्तम संतान की कामना की जाती है। यह व्रत उन दंपतियों को भी करना चाहिए जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा हो। जिनकी कुंडली में किसी ग्रह दोष के कारण संतान सुख नहीं मिल रहा हो वे भी यह व्रत जरूर करें। पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि में भगवद्भक्ति भजन करते हुए जागरण किया जाता है। दूसरे दिन ब्राह्मण दंपती को भोजन करवाकर उचित दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण किया जाता है।

पुत्रदा एकादशी व्रत विधि

पुत्रदा एकादशी व्रत विधि

  • पुत्रदा एकादशी के दिन पूर्व दशमी तिथि से व्रती को संयम का पालन करना चाहिए। दशमी के दिन एक समय भोजन करें। रात्रि भोजन का त्याग करें और दशमी की रात्रि में मैथुन आदि क्रिया न करें।
  • एकादशी के दिन प्रात:काल सूर्योदय पूर्व उठकर दैनिक कार्यो से निवृत्त होकर सूर्यदेव को जल का अ‌र्घ्य देकर पूजा स्थान को साफ-स्वच्छ करें।
  • पूजा स्थान में एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति का चित्र रखकर सबसे पहले एकादशी व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पंचोपचार पूजन संपन्न करें। भगवान को पीले पुष्प अर्पित करें। नैवेद्य लगाएं। गाय के शुद्ध घी और गोछाछ का भोग भी लगाएं।
  • इसके बाद पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
  • पूरे दिन निराहार रहें। क्षमता न हो तो फलाहार ग्रहण कर सकते हैं। इसके बाद रात्रि में जागरण करते हुए भजन करें।
  • इस दिन गोछाछ का सेवन करना चाहिए।
  • द्वादशी के दिन प्रात: व्रत का पारण करें। ब्राह्मण दंपती को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें और फिर स्वयं भोजन करें।
  • संतान सुख की कामना से व्रती दंपती को इस एकादशी के दिन संतानगोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ धन संपत्ति सुख प्रदान करता है।

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एकादशी व्रत के नियम

एकादशी व्रत के नियम

  • एकादशी के दिन संयम का पालन करना चाहिए।
  • इनमें सबसे बड़ा संयम है इंद्रिय संयम।
  • झूठ बोलना, चोरी करना, किसी की वस्तु पर अपना अधिकार जमाना, धन संपत्ति हड़पना न करें।
  • किसी प्राणी का दिल न दुखाएं।
  • एकादशी के दिन मनुष्यों के साथ पशु-पक्षियों की सेवा करने का भी बड़ा महत्व है। गायों को चारा खिलाना, कुत्ते को रोटी डालना, पक्षियों के लिए अनाज पानी का प्रबंध करना और मछलियों को आटे की गोलियां खिलाने से बड़ा पुण्य प्राप्त होता है।
  • इस दिन गरीबों को यथाशक्ति फलों का वितरण करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन चावल का सेवन त्याज्य है।
  • व्रती को दिन में सोना नहीं चाहिए।
 पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

किसी समय भद्रावती नगरी में राजा सुकेतु राज करता था। उसकी पत्नी का नाम शैव्या था। उनकी कोई संतान नहीं थी, इससे राजा-रानी बहुत दुखी रहते थे। एक दिन राजा-रानी ने अपना सारा राज्य मंत्री को सौंपा और स्वयं वन मेंे चले गए। एक दिन वन में उन्हें वेद पाठ के स्वर सुनाई दिए। वे स्वर की दिशा में बढ़ते चले गए। उन्होंने देखा किअनेक ऋषि नदी के किनारे यज्ञ कर रहे थे। राजा-रानी ने ऋषियों को प्रणाम किया। ऋषियों ने दंपती के मन की पीड़ा जान ली और उन्हें पौष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली पुत्रदा एकादशी का व्रत करने का आदेश दिया। राज दंपती ने विधि विधान से व्रत किया और उन्हें व्रत के प्रभाव से एक पुत्री और एक पुत्र संतान की प्राप्ति हुई।

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English summary
Paush Putrada Ekdashi, also known as Pavitropana Ekadashi and Pavitra Ekadashi, is a Hindu holy day, here is importance and puja vidhi.
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