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Papmochani Ekadashi: जाने-अनजाने में किए पापों का नाश करता है व्रत

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे भागवत एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी को करने से व्यक्ति के पूर्व जन्म और इस जन्म के जाने-अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा पीले पुष्पों से करने का महत्व है। इस एकादशी के दिन सात्विकता का पालन करें, झूठ ना बोलें, किसी की निंदा-बुराई करना निषेध रहता है। इस व्रत को करने से ब्रह्महत्या, स्वर्ण चोरी, मदिरापान, अहिंसा समेत अनेक घोर पापों के दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन भागवत पुराण के पाठ का विशेष महत्व है। पापमोचनी एकादशी 31 मार्च को आ रही है।

पूजा विधि

पूजा विधि

पापमोचनी एकादशी के दिन सूर्योदय पूर्व स्नान करके व्रत का संकल्प करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की षोडशोपचार विधि से पूजा करें और पूजन के बाद भगवान को धूप, दीप, चंदन और फल आदि अर्पित करके आरती करें। इस दिन भगवान विष्णु को पीत वस्त्र जरूर पहनाएं। साथ ही पीले फलों का नैवेद्य लगाएं। व्रती दिन में फलाहार ले सकता है। इस दिन भिखारियों, जरूरतमंद व्यक्ति और ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान और भोजन अवश्य कराना चाहिए। पापमोचनी एकादशी पर रात्रि में निराहार रहकर भगवान विष्णु के भजन करते हुए जागरण करें। अगले दिन द्वादशी पर पारण के बाद व्रत खोलें।

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पापमोचनी एकादशी की कथा

पापमोचनी एकादशी की कथा

पुराण कथाओं के अनुसार प्राचीनकाल में चैत्ररथ नामक एक बहुत सुंदर वन था। इस वन में च्यवन ऋ षि के पुत्र मेधावी ऋ षि तपस्या किया करते थे। इसी वन में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं, अप्सराओं और देवताओं के साथ विचरण करते थे। मेधावी ऋ षि शिव भक्त और अप्सराएं शिवद्रोही कामदेव की अनुचरी थीं। एक समय कामदेव ने मेधावी ऋ षि की तपस्या भंग करने के लिए मंजूघोषा नामक अप्सरा को भेजा। उसने अपने नृत्य, गान और सौंदर्य से मेधावी मुनि का ध्यान भंग कर दिया। वहीं मुनि मेधावी भी मंजूघोषा पर मोहित हो गए। इसके बाद दोनों ने अनेक वर्ष साथ में व्यतीत किए। एक दिन जब मंजूघोषा ने जाने की अनुमति मांगी तो मेधावी ऋ षि को अपनी भूल और तपस्या भंग होने का आत्मज्ञान हुआ।

मंजूघोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दिया...

मंजूघोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दिया...

इसके बाद क्रोधित होकर उन्होंने मंजूघोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दिया। अप्सरा ने ऋ षि के पैरों में गरकर अपने कृत्य की क्षमा मांगी और श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा। मंजूघोषा के अनेकों बार विनती करने पर मेधावी ऋ षि ने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करने का उपाय बताया और कहा कि इस व्रत को करने से तुम्हारे पापों का नाश हो जाएगा व तुम पुन: अपने पूर्व रूप को प्राप्त करोगी। अप्सरा को मुक्ति का मार्ग बताकर मेधावी ऋषि अपने पिता महर्षि च्यवन के पास पहुंचे। श्राप की बात सुनकर च्यवन ऋ षि ने कहा कि पुत्र यह तुमने अच्छा नहीं किया। उस पाप के भागीदार तो तुम भी हो फिर दोष केवल अप्सरा को क्यों। इसलिए तुम्हें भी पापमोचनी एकादशी का व्रत करना होगा। इस प्रकार पापमोचनी एकादशी का व्रत करके अप्सरा मंजूघोषा ने श्राप से और मेधावी ऋ षि ने पाप से मुक्ति पाई।

क्या उपाय करें इस दिन

क्या उपाय करें इस दिन

  • यदि आप व्रत नहीं भी कर रहे हैं तो भी पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीतांबर से श्रृंगार करके पीले पुष्प अवश्य अर्पित करें।
  • इस दिन भगवान विष्णु को पीले फलों का नैवेद्य लगाना चाहिए।
  • इसे भागवत एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए इस दिन भागवतपुराण का पाठ करें।
  • इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ श्रीकृष्ण का भी पूजन करें।
  • जीवन में सुख-संपत्ति की प्राप्ति के लिए विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • इस दिन किसी विष्णु मंदिर में जाकर मां लक्ष्मी-विष्णु का पूजन करें।
  • विवाह की कामना से युवक-युवतियां यह व्रत कर सकते हैं। इससे उन्हें विवाह सुख प्राप्त होगा।
  • दांपत्य जीवन में परेशानी आ रही हो तो पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ शिव-पार्वती का पूजन भी करें।
  • इस दिन पीपल के वृक्ष में एक लोटा कच्चे दूध में बताशा और पीला पुष्प डालकर अर्पित करें।
  • केसर के दूध से शिवजी का अभिषेक करने से सांसारिक वस्तुओं, धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  • केसर के दूध से शिवजी का अभिषेक करने से रोगों से मुक्ति होती है और शारीरिक सौंदर्य बढ़ता है।

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English summary
Papmochani Ekadashi is observed during Krishna Paksha of Chaitra month according to North Indian Purnimant calendar and Krishna Paksha of Phalguna month according to South Indian Amavasyant calendar.
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