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Papankusha Ekadashi 2018: ब्रह्म हत्या तक के पाप से मुक्ति दिलाती है पापांकुश एकादशी

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली।आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुश एकादशी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों का कथन है कि पापांकुश एकादशी का व्रत करने से समस्त प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। यहां तक कि ब्रह्म हत्या तक के पाप से भी यह एकादशी मुक्ति दिलाती है, बशर्ते इसे पूरे विधि विधान और श्रद्धा-भक्ति से किया जाए। यह एकादशी पापों पर अंकुश लगाती है, इसलिए इसे पापांकुश एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की जाती है, जो समस्त प्रकार के सुखों के दाता, पापों का नाश करने वाले हैं। कहा जाता है इस एकादशी के प्रभाव से समस्त ग्रहों की पीड़ा भी समाप्त हो जाती है। यह एकादशी 20 अक्टूबर शनिवार को आ रही है।

कब से कब तक

  • एकादशी तिथि प्रारंभ 19 अक्टूबर को सायं 5.57 बजे से
  • एकादशी तिथि पूर्ण 20 अक्टूबर को रात्रि 8.01 बजे
पापांकुश एकादशी व्रत के लाभ

पापांकुश एकादशी व्रत के लाभ

  • भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
  • जाने-अनजाने में किए गए पापों का प्रायश्चित इस एकादशी व्रत को रखने से हो जाता है।
  • अविवाहितों के शीघ्र विवाह का मार्ग प्रश्ास्त होता है। सुंदर पत्नी या योग्य पति प्राप्त होता है।
  • भोग, सुख, ऐश्वर्य, संपदा की कमी नहीं होती।
  • मन में पवित्रता आती है। मन शुद्ध और संस्कारी होता है।
  • आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाने में इस एकादशी के समान दूसरा कोई नहीं।

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 गुरु की निंदा ब्रह्म हत्या के पाप समान

गुरु की निंदा ब्रह्म हत्या के पाप समान

संसार में गुरु से बढ़कर कोई नहीं। माता-पिता सबसे पहले गुरु होते हैं। उनके बाद वह गुरु जिससे आप दीक्षा लेते हैं। लेकिन कई लोग दूसरों के कहने में आकर या सुनी-सुनाई बातों में आकर अपने ही माता-पिता और दीक्षित करने वाले गुरु का अपमान करने लगते हैं और दूसरों से गुरु की निंदा सुनते हैं। शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने गुरु की निंदा करता है या दूसरों से अपने गुरु की बुराई चुपचाप सुनता रहता है, वह ब्रह्म हत्या के पाप के समान पाप का भागीदार होता है। ऐसा व्यक्ति धरती पर जीवित रहते हुए नारकीय जीवन जीता है। उसे धन-सुख आदि का हमेशा अभाव रहता है और मृत्यु के बाद उसे नर्क में भी स्थान नहीं मिलता। ऐसा व्यक्ति यदि अपना इहलोक और परलोक सुधारना चाहता है तो उसे पापांकुश एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए।

क्या करें एकादशी के दिन

क्या करें एकादशी के दिन

इस दिन प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर श्वेत वस्त्र धारण करें। फिर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पंचोपचार पूजा करें। उन्हें लाल कलम का पुष्प अर्पित करें। पंचामृत और ऋतुफलों का नैवेद्य लगाएं और पापांकुश एकादशी व्रत की कथा का पाठ करें या सुनें। पूरे दिन निराहार रहें। आहर में जरूरत के मुताबिक ऋतुफल ले सकते हैं। शाम के समय एक बार फिर भगवान विष्णु की पूजा करें। पीपल और तुलसी के समीप घी का दीपक लगाएं। दूसरे दिन प्रात: व्रत का पारणा करें। ब्राह्मण और जरूरतमंदों को ऋतुफल का दान करें। एकादशी के दिन मन, वचन और कर्म की सात्विकता रखना आवश्यक है। किसी की बुराई न करें, क्रोध न करें।

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English summary
Papankusha Ekadashi vrat falls on the Shuklapaksha Ekadashi in the month of Ashwin.
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