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Navratri 2020: त्रिदेवों की शक्ति से उत्पन्न हुईं मां दुर्गा, जानिए ये कथा

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। सृष्टि के निर्माण काल से आदिशक्ति के रूप में देवी की सत्ता और महत्ता को देवताओं ने भी स्वीकार किया है। हमारे धर्म ग्रंथ बताते हैं कि आदिकाल से जब-जब आसुरी शक्तियों ने विध्वंसकारी रूप धारण किया है, तब- तब उनके विनाश के लिए किसी- ना- किसी स्त्रीशक्ति ने अवतरण लिया है। हमारे पौराणिक आख्यानों में दैवीय अवतरण की विस्तृत श्रृंखला देखने को मिलती है। पुराण बताते हैं कि सृष्टि के सरल संचालन में जब भी बाधा उत्पन्न हुई है, तब देवियां ही उस कष्ट को दूर करने में सहायक हुई हैं।

Navratri 2020: त्रिदेवों की शक्ति से उत्पन्न हुईं मां दुर्गा, जानिए ये कथा

माता के इस अवतरण में आज हम जानते हैं मां दुर्गा के प्राकट्य की कथा

यह उस काल की बात है, जब ब्रह्मांड पर वर्चस्व को लेकर देवताओं और दानवों में लगातार युद्ध हुआ करते थे। इस युद्ध में कभी देव, तो कभी दानव विजयी हुआ करते थे। इसी क्रम में एक बार दानव वंश में ऐसा राजा हुआ, जिसने अपने प्रचंड पराक्रम से तीनों लोकों पर अधिकार जमा लिया। इस दानव का नाम था दुर्गम। दुर्गम की अपराजेय महाशक्ति और आंशिक अमरता का कारण यह था कि उसने ब्रह्मा जी को अनवरत तपस्या कर प्रसन्न कर लिया था। उसने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगा, जो किसी को भी दिया जाना असंभव था।

कुंआरी कन्या ही उसका वध करने में सक्षम होगी

ब्रह्मा जी के मना करने पर उसने वर मांगा की केवल कुंआरी कन्या ही उसका वध करने में सक्षम होगी। इस तरह दुर्गम आंशिक रूप से अमर ही हो गया क्योंकि इतनी शाक्तिशाली कुंआरी कन्या का सामान्य जन्म संभव ना था। दुर्गम द्वारा तीनों लोकों को हस्तगत कर लेने पर देवगण निराश्रित हो गए और सहायता मांगने ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी ने बताया कि दुर्गम उन्हीं के वरदान से अपराजेय हो गया है और उसे परास्त करने के लिए एक ऐसी दिव्य कन्या का सृजन करना होगा, जिसमें सम्पूर्ण देवताओं की शक्तियां निहित हों।

ब्रह्मा, विष्णु, महेश की त्रिशक्ति

ब्रह्मा जी के आह्वान पर भगवान शिव और श्री विष्णु समेत ब्रह्मांड के समस्त देवता एकत्र हुए। ब्रह्मा, विष्णु, महेश की त्रिशक्ति के समन्वय से एक अद्वितीय शक्ति पुंज प्रकट हुआ। इस दिव्य पुंज को समस्त देवताओं ने अपनी शक्तियां प्रदान कीं और तब यह पुंज एक अद्भुत कन्या रूप में साकार हुआ। इस शक्तिशाली देवी कन्या ने देखते ही देखते दुर्गम को उसकी सेना समेत समाप्त कर दिया। इसके पश्चात सभी देवताओं ने इस देवी कन्या की चरण वंदना कर उनकी सत्ता स्वीकार की। दैत्य दुर्गम का संहार करने के कारण देवी के इस रूप को संसार में दुर्गा नाम से पुकारा गया।

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English summary
Maharishi Markendeya gives a detailed account of the birth of Goddess Durga in ‘Durga Saptashati’.
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