Navratri 2019: क्या है शक्ति पीठ की कथा और महत्व?
लखनऊ। नवरात्र में मां भवानी के नौं रूपों की पूजा व अर्चना की जाती है। वैसे तो मां की शक्ति कण-कण में विद्यमान है। शक्ति से ही पूरे विश्व पर प्रकृति का नियन्त्रण स्थापित है और शक्ति की ही पूजा की जाती है।
अगर आप नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना करते है तो जरूर जानें कि 51 शक्ति पीठियों का क्या रहस्य है।
पुराणों के अनुसार, सती के शव के विभिन्न अंगों से बावन शक्तिपीठों का निर्माण हुआ था। इसके पीछे यह अंतर्कथा है कि दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में बृहस्पति सर्व नामक यज्ञ रचाया। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन जान-बूझकर अपने दामाद भगवान शंकर को नहीं बुलाया।
शंकरजी की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और शंकरजी के रोकने पर भी यज्ञ में भाग लेने गईं। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से अपना विरोध प्रकट किया। इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को भला-बुरा कहा। अपने पति के इस अपमान से पीडि़त हुई सती ने यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी।
क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया
भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। भगवान शंकर के आदेश पर उनके गणों के उग्र रूप से भयभीत होकर सारे देवता ऋषिगण यज्ञस्थल से भाग गये। भगवान शंकर ने यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकालकर कंधे पर उठा लिया और व्यथित मन से हुए इधर-उधर घूमने लगे। तदनंतर सम्पूर्ण विश्व को प्रलय से बचाने के लिए जगत के पालनकर्त्ता भगवान विष्णु ने चक्र से सती के शरीर को काट दिया। तदनंतर वे टुकड़े 51 जगहों पर गिरे। वह 51वॉ स्थान शक्तिपीठ कहलाता है।
शक्ति
अर्थात
देवी
दुर्गा,
जिन्हें
दाक्षायनी
या
पार्वती
रूप
शक्ति अर्थात देवी दुर्गा, जिन्हें दाक्षायनी या पार्वती रूप में भी पूजा जाता है। भैरव अर्थात शिव के अवतार, जो देवी के स्वांगी हैं। अंग या आभूषण अर्थात, सती के शरीर का कोई अंग या आभूषण, जो श्री विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से काटे जाने पर पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर गिरा, आज वह स्थान पूज्य है और शक्तिपीठ कहलाता है। शक्तिपीठों की संख्या 51 कही गई है। ये भारतीय उपमहाद्वीप में विस्तृत हैं।