Navratri 2019: जानिए दुर्गा सप्तशती की कथा
लखनऊ। आदि शक्ति की आराधना के पर्व में सभी लोग श्रद्धा और यथाशक्ति के अनुसार मॉ भगवती की स्तुति बड़े धूमधाम से करते है। कुछ लोग नौं दिनों तक उपवास रखकर मॉ के नौं रूपों की विधिवत पूजा-अर्चना करते और कुछ भक्तजन पहला व अन्तिम उपवास रखते है और साथ में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते है।
जानिए मां काली ने क्यों धरा था रौद्र रूप, क्या था इसका मतलब?
लेकिन क्या आप जानते है कि दुर्गा सप्तशती को भगवान शंकर ने क्यों शापित किया था और क्या है इसके पीछे की कथा का रहस्य ?
माता पार्वती
प्राचीन
समय
की
बात
है
कि
एक
बार
भगवान
शंकर
पर
माता
पार्वती
को
किसी
कारणवश
बहुत
क्रोध
आ
गया,
जिसके
कारण
माँ
पार्वती
ने
रौद्र
रूप
धारण
कर
लिया
और
मां
पार्वती
के
इसी
क्रोधित
स्वरूप
को
हम
मां
काली
के
नाम
से
जानते
है।
देवी-देवता सभी भयभीत हो गए
जब मां पार्वती क्रोधित होकर काली के रूप में पृथ्वी पर विचरण करने लगी और सामने आने वाले हर प्राणी को मारने लगी। जिसके कारण सुर-असुर, देवी-देवता सभी भयभीत हो गए और मां काली के भय से मुक्त होने के लिए ब्रम्हाजी के नेतृत्व में सभी भगवान शिव के पास गए औन उनसे कहा कि- भगवान भोले से प्रार्थना कि अब आप ही देवी काली को शांत कर सकते हैं और यदि आपने ऐसा नहीं किया, तो सम्पूर्ण पृथ्वी का नाश हो जाएगा।
भगवान शिव
भगवान शिव ने ब्रम्हाजी से कहा कि अगर मैंने ऐसा किया तो बहुत ही भयानक असर होगा। सारी पृथ्वी पर दुर्गा के रूप मंत्रो से भयानक शक्ति का उदय होगा और दानव इसका दुरूपयोग करना शुरू कर देंगे, जिससे सम्पूर्ण संसार में आसुरी शक्तियो का वास हो जाएगा। ब्रम्हाजी ने फिर भगवान शिव से प्रार्थना की कि आपके सिवा कोई भी देवी के रौद्र रूप को शांत नहीं कर सकता है, इसलिए कृपया आप ही कुछ कीजिए और इस दौरान उदय होने वाले मां दुर्गा के रूप मंत्रों को शापित कर दीजिए, ताकि भविष्य में कोई भी इसका दुरूपयोग न कर सके।
नारद जी
वहां पर मौजूद नारद जी ने ब्रम्हाजी से पूछा कि यदि भगवान शिव ने उदय होने वाले मां दुर्गा के रूप मंत्रों को शापित कर दिया, तो संसार में जिसको सचमुच में देवी के रूप् मन्त्रों की आवश्यकता होगी, वे लोग भी मां दुर्गा के तत्काल जाग्रत मंत्र रूपों से वंचित रह जाऐंगे। उनके लिए क्या उपाय है, ताकि वे इन जाग्रत मंत्रों का अपने कल्याण हेतु लाभ प्राप्त कर सकें। नारद के इस आग्रह पर भगवान शिव ने दुर्गा सप्तशती को शापमुक्त करने की पूरी विधि बताई और इस विधि का अनुसरण किए बिना दुर्गा सप्तशती के मारण, वशीकरण, उच्चाटन जैसे मंत्रों को सिद्ध नहीं किया जा सकता न ही दुर्गा सप्तशती के पाठ का ही पूरा लाभ मिलता है।
दुर्गा सप्तशती कैसे होगी शाप से मुक्त?
भगवान
शिव
ने
कहा
जो
जातक
मां
दुर्गा
के
रूप
मंत्रों
को
किसी
के
कल्याण
हेतु
या
शुभ
कार्य
के
लिए
जाग्रत
करना
चाहता
है,
उसे
पहले
दुर्गा
सप्तशती
को
शाप
मुक्त
करना
होता
है।
निम्न
मंत्र
का
सात
बार
जप
करना
होता
है-
ऊँ
ह्रीं
क्लीं
श्रीं
क्रां
क्रीं
चण्डिकादेव्यै
शापनाशानुग्रहं
कुरू
कुरू
स्वाहा।
फिर
इसके
पश्चात
नीचे
लिखे
निम्न
मंत्र
का
21
बार
जप
करना
होता
है-
ऊँ
श्रीं
क्लीं
ह्रीं
सप्तशति
चण्डिके
उत्कीलनं
कुरू
कुरू
स्वाहा
तत्पश्चात
निम्न
मंत्र
का
21
बार
जप
करना
होता
है-
ऊँ
ह्रीं
ह्रीं
वं
वं
ऐं
ऐं
मृतसंजीवनि
विधे
मृतमूत्थापयोत्थापय
क्रीं
ह्रीं
ह्रीं
वं
स्वाहा
और
फिर
अन्त
में
निम्न
मंत्र
का
108
बार
जप
करना
होता
है-
ऊँ
श्रीं
श्रीं
क्लीं
हूं
ऊँ
ऐं
क्षोंभय
मोहय
उत्कीलय
उत्कीलय
उत्कीलय
ठं
ठं
इस
प्रकार
पूरी
विधि
पूर्वक
मन्त्रों
का
जाप
करने
से
मां
दुर्गा
का
सप्तशती
ग्रंथ
भगवान
शंकर
के
शाप
से
मुक्त
हो
जाता
है।
दुर्गा
सप्तशती
को
बिना
शाप
मुक्त
किये
हुये
इसका
पाठ
करने
से
कोई
लाभ
नहीं
मिलता।