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Nag Panchami 2021: नाग पंचमी की तीन प्रचलित कथाएं

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। कथा-1 : जब नाग देवता बने भाई

किसी समय एक सेठ के सात बेटे थे। सातों की शादी हो चुकी थी। सबसे छोटे बेटे की पत्नी का कोई भाई नहीं था। एक दिन बड़ी बहू ने घर लीपने के लिए पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओं को साथ चलने को कहा। इस पर सभी बहुएं उसके साथ चली गई और खुरपी लेकर मिट्टी खोदने लगीं। तभी वहां एक बड़ा नाग निकला। इससे डरकर बड़ी बहू ने उसे खुरपी से मारना शुरू कर दिया। छोटी बहू ने उसे ऐसा करने से रोका तो बड़ी बहू ने सांप को छोड़ दिया। वह नाग पास ही में जा बैठा। छोटी बहू उसे यह कहकर चली गई कि हम अभी लौटते हैं तुम जाना मत, लेकिन वह काम में व्यस्त हो गई और नाग को कही अपनी बात को भूल गई।

 सांप इंसानी रूप लेकर छोटी बहू के घर पहुंचा...

सांप इंसानी रूप लेकर छोटी बहू के घर पहुंचा...

अगले दिन उसे अपनी बात याद आई। वह दौड़कर वहां गई जहां नाग बैठा था। छोटी बहू ने नाग से माफी मांगते हुए कहा- सर्प भैया नमस्कार। नाग ने कहा- 'तूने भैया कहा है तो तुझे माफ करता हूं, नहीं तो झूठ बोलने के अपराध में अभी डस लेता। ऐसा कहकर नाग ने उसे अपनी बहन बना लिया। कुछ दिन बाद वह सांप इंसानी रूप लेकर छोटी बहू के घर पहुंचा और बोला कि 'मेरी बहन को भेज दो।" सबने कहा कि इसका तो कोई भाई नहीं था, यह कहां से आ गया, तो वह बोला- मैं दूर के रिश्ते में इसका भाई हूं, बचपन में ही बाहर चला गया था। उसके विश्वास दिलाने पर घर के लोगों ने छोटी बहू को उसके साथ भेज दिया। रास्ते में नाग ने छोटी बहू को बताया कि वह वही नाग है और उसे डरने की जरूरत नहीं है। बहन ने भाई की बात मानी और वह जहां पहुंचे वह सांप का घर था, वहां धन-ऐश्वर्य को देखकर वह चकित हो गई।

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छोटी बहू ने नाग को ठंडे की जगह गर्म दूध दे दिया

छोटी बहू ने नाग को ठंडे की जगह गर्म दूध दे दिया

एक दिन भूलवश छोटी बहू ने नाग को ठंडे की जगह गर्म दूध दे दिया। इससे उसका मुंह जल गया। इस पर सांप की मां बहुत गुस्सा हुई। तब सांप को लगा कि बहन को अब घर भेज देना चाहिए। इस पर उसे सोना, चांदी और खूब सामान देकर घर भेज दिया गया। सांप ने छोटी बहू को हीरा-मणियों से जड़ा एक बहुमूल्य हार उपहार में दिया। उस हार की प्रशंसा पूरे नगर में फैल गई। उस राज्य की रानी को जब यह बात पता लगी तो उन्होंने राजा से उस हार को पाने की जिद की। राजा के सिपाही छोटी बहू से वह हार मांगने पहुंचे। जब बहू ने हार देने से मना किया तो सिपाही जबरन हार छीनकर ले गए।

छोटी बहू ने मन ही मन अपने भाई को याद किया

छोटी बहू ने मन ही मन अपने भाई को याद किया और कहा- भाई, रानी ने हार छीन लिया है। तुम ऐसा करो कि जब रानी हार पहने तो वह सांप बन जाए और जब लौटा दे तो फिर से हीरे और मणियों का हो जाए। सांप ने वैसा ही किया। रानी से हार वापस तो मिल गया, लेकिन बड़ी बहू ने उसके पति के कान भर दिए। पति ने अपनी पत्नी को बुलाकर पूछा- यह धन तुझे कौन देता है? छोटी बहू ने सांप को याद किया और वह प्रकट हो गया। इसके बाद छोटी बहू के पति ने नाग देवता का सत्कार किया। उसी दिन से नागपंचमी पर स्त्रियां नाग को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं।

कथा-2 : नागों ने दिया पुत्रवती होने का वरदान

कथा-2 : नागों ने दिया पुत्रवती होने का वरदान

एक राजा के सात पुत्र थे, उन सबके विवाह हो चुके थे। उनमें से छह पुत्रों की संतान भी हो चुकी थी। सबसे छोटे पुत्र को अब तक कोई संतान नहीं हुई। जिठानियां उसे बांझ कहकर ताने मारती थीं। इससे व्याकुल होकर वह रोने लगती। उसका पति समझाता कि 'संतान होना या न होना तो भाग्य के अधीन है, फिर तू क्यों दु:खी होती है?" दुनिया जो भी बोलती है बोलने दो, मैं कभी तुझे कुछ नहीं कहूंगा। एक दिन नाग पंचमी आ गई। चौथ की रात को उसे स्वप्न में पांच नाग दिखाई दिए। उनमें से एक ने कहा- 'अरी पुत्री। कल नाग पंचमी है, तू अगर हमारा पूजन करे तो तुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो सकती है। यह सुनकर वह उठ बैठी और पति को जगाकर स्वप्न का हाल सुनाया। पति ने कहा- ठीक है तुम नाग पंचमी की पूजा संपन्न् करो। पांच नाग दिखाई दिए हैं तो पांचों की आकृति बनाकर उनका पूजन कर देना। नाग लोग ठंडा भोजन ग्रहण करते हैं, इसलिए उन्हें कच्चे दूध से प्रसन्न् करना। दूसरे दिन उसने ठीक वैसा ही किया। नागों के पूजन से उसे नौ मास के बाद सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। तब से नाग पंचमी की पूजा प्रारंभ हो गई।

कथा-3 : नागों ने दिया किसान दंपती को जीवन का वरदान

कथा-3 : नागों ने दिया किसान दंपती को जीवन का वरदान

एक राज्य में किसान परिवार रहता था। उसके दो पुत्र और एक पुत्री थी। एक दिन हल जोतते समय हल से नाग के तीन बच्चे कुचलकर मर गए। नागिन पहले तो विलाप करती रही फिर उसने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने का संकल्प किया। रात्रि को अंधकार में नागिन ने किसान, उसकी पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया। अगले दिन प्रात: किसान की पुत्री को डसने के उद्देश्य से नागिन फिर चली तो किसान कन्या ने उसके सामने दूध का भरा कटोरा रख दिया। हाथ जोड़ क्षमा मांगने लगी। नागिन ने प्रसन्न् होकर उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुन: जीवित कर दिया। उस दिन श्रावण शुक्ल पंचमी थी। तब से नागों के कोप से बचने के लिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है।

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English summary
Nag Panchami is a traditional worship of snakes or serpents observed by Hindus throughout India. Read 3 Important Katha.
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