नागपचंमी: नाग पूजन से होगी परिवार की रक्षा, होगी आयु, आरोग्य में वृद्धि
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में सृष्टि के प्रत्येक कण में देवता का वास मानते हुए उसे पूजने की परंपरा है। चाहे वह पेड़-पौधे हों या पशु-पक्षी, सभी को देव समान मानते हुए उन्हें पूजा जाता है। श्रावण माह में भगवान शिव से जुड़े प्रत्येक प्रतीक को पूजा जाता है। उनके गले में सदा लिपटे रहने वाले नाग को पूजने के लिए भी श्रावण में एक दिन निर्धारित है जिसे नागपंचमी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष नागपंचमी 5 अगस्त सोमवार को आ रही है।
शुक्ल पक्ष की पंचमी नाग पूजा के लिए खास
पंचांग के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी नाग पूजा के लिए खास मानी गई है। भविष्य पुराण के ब्रह्मा पर्व के 102वें अध्याय में तिथियों के देवताओं के बारे में बताया गया है। उसके अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं अर्थात् इस दिन नागों का पूजन शुभ होता है। इस दिन पूरे भारत में नागों की पूजा की जाती है, उन्हें दूध पिलाया जाता है। कई स्थानों पर सांप की बांबी में कंुकुम, हल्दी, चावल, पुष्प से पूजा के बाद दूध अर्पित करने की भी परंपरा है। गरूण पुराण में कहा गया है कि नागपंचमी के दिन घर के दोनों ओर नाग की मूर्ति बनाकर उनका पूजन किया जाना चाहिए। नाग पूजन से परिवार की रक्षा होती है, परिजनों की आयु और आरोग्य में वृद्धि होती है।
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नागपंचमी की कथा
नागपंचमी को लेकर अनेक कथाएं, जनश्रुतियां प्रचलित हैं। उनमें से एक कथा इस प्रकार है...
एक
समय
की
बात
है।
किसी
गांव
में
एक
किसान
अपने
परिवार
के
साथ
रहता
था।
वह
दिनभर
खेत
में
काम
करता
और
बाकी
समय
भगवान
का
स्मरण
करते
हुए
अपने
परिवार
के
साथ
आनंद
पूर्वक
जीवन
बिता
रहा
था।
उसके
परिवार
में
पत्नी,
दो
बेटे
और
एक
बेटी
थी।
एक
बार
किसान
खेत
में
हल
चला
रहा
था
और
अनजाने
में
उसके
हल
के
नीचे
कुचलकर
एक
नागिन
के
तीन
बच्चे
मर
गए।
किसान
को
इस
बात
का
पता
नहीं
चला
और
वह
रोज
की
तरह
घर
आकर
खा-पीकर
सो
गया।
बच्चों
को
मृत
पाया
उधर नागिन ने जब अपने बच्चों को मृत पाया, तो पहले तो वह विलाप करने लगी। इसके बाद क्रोध में पागल होकर उसने तय किया कि वह किसान के पूरे परिवार को मार डालेगी। ऐसा निश्चय कर वह रात में ही किसान के घर पहुंची और उसे, उसकी पत्नी और दोनों बेटों को डस लिया। पल भर में ही चारों की मृत्यु हो गई। किसान की बेटी घर में ना होने से बच गई।
किसान की एक और संतान जीवित है...
किसान की बेटी ने जब अपने परिवार का समूल नाश हुआ देखा, तो वह समझ गई कि कुछ अनिष्ट हुआ है। वह बड़े ही भोले हृदय की मासूम कन्या थी। उसने नागिन को मनाने का मन बनाया। वह सुबह पौ फटते ही एक कटोरे में दूध लेकर खेत में पहुंच गई। जब नागिन ने देखा कि किसान की एक और संतान जीवित है, तो वह उसे काटने दौड़ी। किसान की बेटी ने झट से दूध का कटोरा उसके सामने रख दिया और हाथ जोड़कर खड़ी हो गई। नागिन ने जब तक दूध पिया, किसान की बेटी उससे क्षमा मांगती रही और समझाती रही कि सब कुछ उसके पिता से अनजाने में हुआ है। उन्होंने जान बूझकर उसके बच्चों को नहीं मारा है। उसकी बात से नागिन संतुष्ट हुई और अपना विष वापस लेकर पूरे परिवार को जीवनदान दिया।
पूरे परिवार को नया जीवन मिला
किसान की बेटी के प्रयास से पूरे परिवार को नया जीवन मिला। जिस दिन यह घटना घटी, उस दिन सावन की पंचमी तिथि थी। तभी से नागों के प्रकोप से बचने के लिए इस दिन नाग पूजा की परंपरा बन गई।
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