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नागपंचमी 2017: भारत में क्यों पूजे जाते हैं नाग?

By पं.गजेंद्र शर्मा
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नई दिल्ली।भारत अनूठी आस्थाओं का देश है। हम भारतीय हर काम अनूठे रूप में करते हैं चाहे वह खान-पान हो या पूजा-पाठ। भगवान की पूजा हर भारतीय के जीवन का नियमित हिस्सा है और सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भारत में प्रकृति भी पूजनीय है।

नागपंचमी 2017: जानिए इस पर्व का महत्व और पूजा का तरीकानागपंचमी 2017: जानिए इस पर्व का महत्व और पूजा का तरीका

हमारे यहां अन्य देवी-देवताओं की तरह वन देवी की भी प्राकल्पना की गई है और प्रकृति के अनेक पेड़-पौधों, पशुओं को पूजा में स्थान दिया गया है। इसी क्रम में विशेष स्थान प्राप्त है नागों को। भारतीय पुराणों में नागों के अनेक वंश, साम्राज्य, और राजाओं का उल्लेख मिलता है।

श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी

श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी

पंचांग के अनुसार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी नाग पूजा के लिए खास मानी गई है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं अर्थात् इस दिन नागों का पूजन शुभ होता है। इस दिन पूरे भारत में नागों की पूजा की जाती है, उन्हें दूध पिलाया जाता है। कई स्थानों पर सांप की बांबी में कुुुमकुम, हल्दी, चावल, पुष्प से पूजा के बाद दूध अर्पित करने की भी परंपरा है। गरूण पुराण में कहा गया है कि नागपंचमी के दिन घर के दोनों ओर नाग की मूर्ति बनाकर उनका पूजन किया जाना चाहिए।

नागपंचमी की कथा

नागपंचमी की कथा

एक समय की बात है। किसी गांव में एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था। वह दिनभर खेत में काम करता और बाकी समय भगवान का स्मरण करते हुए अपने परिवार के साथ आनंद पूर्वक जीवन बिता रहा था। उसके परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी थी। एक बार किसान खेत में हल चला रहा था और अनजाने में उसके हल के नीचे कुचलकर एक नागिन के तीन बच्चे मर गए। किसान को इस बात का पता नहीं चला और वह रोज की तरह घर आकर खा-पीकर सो गया।

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किसान से लिया बदला...

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उधर नागिन ने जब अपने बच्चों को मृत पाया, तो पहले वह विलाप करने लगी। इसके बाद क्रोध में पागल होकर उसने तय किया कि वह किसान के पूरे परिवार को मार डालेगी। ऐसा निश्चय कर वह रात में ही किसान के घर पहुंची और उसे, उसकी पत्नी और दोनों बेटों को डस लिया। पल भर में ही चारों की मृत्यु हो गई। किसान की बेटी घर में ना होने से बच गई।

परिवार को जीवनदान दिया

परिवार को जीवनदान दिया

किसान की बेटी ने जब अपने परिवार का समूल नाश हुआ देखा, तो वह समझ गई कि कुछ गलत हुआ है। वह बड़े ही भोले हृदय की मासूम कन्या थी। उसने नागिन को मनाने का मन बनाया। वह सुबह पौ फटते ही एक कटोरे में दूध लेकर खेत में पहुंच गई। जब नागिन ने देखा कि किसान की एक और संतान जीवित है, तो वह उसे काटने दौड़ी। किसान की बेटी ने झट से दूध का कटोरा उसके सामने रख दिया और हाथ जोड़कर खड़ी हो गई। नागिन ने जब तक दूध पिया, किसान की बेटी उससे क्षमा मांगती रही और समझाती रही कि सब कुछ उसके पिता से अनजाने में हुआ है। उन्होंने जान बूझकर नागिन के बच्चों को नहीं मारा है। उसकी बात से नागिन संतुष्ट हुई और अपना विष वापस लेकर पूरे परिवार को जीवनदान दिया।

नाग पूजा की परंपरा

नाग पूजा की परंपरा

किसान की बेटी के प्रयास से पूरे परिवार को नया जीवन मिला। जिस दिन यह घटना घटी, उस दिन सावन की पंचमी तिथि थी। तभी से नागों के प्रकोप से बचने के लिए इस दिन नाग पूजा की परंपरा बन गई।

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English summary
Snake worship is devotion to serpent deities. The tradition is present in several ancient cultures, particularly in religion and mythology, where snakes were seen as entities of strength and renewal.
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