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डर का सामना करें चतुराई से क्योंकि डर के आगे जीत है

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। डर एक ऐसी भावना है, जो हर इंसान के मन में किसी ना किसी रूप में मौजूद होती है। किसी को जानवर से डर लगता है, तो किसी को हवाई जहाज से। दुनिया में जितने व्यक्ति हैं, उतने ही तरह के डर भी देखने को मिलते हैं। आज हम जिस डर की चर्चा कर रहे हैं, वह है आतंक का डर। यह ऐसा डर है, जो किसी भी अधिकार संपन्न व्यक्ति से उससे कम दर्जे वाले को हो सकता है।

डर का सामना करें चतुराई से क्योंकि डर के आगे जीत है

जरूरी नहीं कि वह व्यक्ति आतंकवादी ही हो, वह आपका बॉस, आपका रिश्तेदार या कोई ऐसा व्यक्ति भी हो सकता है, जिससे पद या प्रभाव में आप कम पड़ते हों।

आज हम इसी परिप्रेक्ष्य में सास बहु की एक मनोरंजक कथा सुनते हैं-

एक गांव में नई बहु का आगमन हुआ। उसकी सास का स्वभाव प्रचंड था। पूरा गांव उसके नाम से डरता था। वह किसी भी बात पर इतनी जोर से चिल्लाती थी कि सामने वाला थर्राकर रह जाता था। बहु उसकी इस आदत से परिचित नहीं थी और गृहकार्य में बहुत निपुण भी नहीं थी। इस कारण घर में रोज ही चीख चिल्लाहट की स्थिति बन जाती थी। बहु अपनी सास के तीखे स्वभाव से बहुत ज्यादा परेशान हो गई। वह हर संभव कोशिश करती कि उससे गलती ना हो, पर सास तो जैसे उसकी गलती निकालने के लिए कमर कसे बैठी थी। यह सब देखकर बहु का मन घबरा गया और वह निराश हो गई।

बहु सब्जी लेकर घर आई तो सास जोर से चिल्लाई...

बहु की ऐसी दशा गांव की एक बुजुर्ग महिला से देखी नहीं गई और उसने बहु को बड़े ही काम की युक्ति बताई। उस दिन बहु सब्जी लेकर घर आई तो सास जोर से चिल्लाई- बहु, कैसी बासी सब्जी उठा लाई। सुनते ही बहु डर कर कांपने लगी और उसने सारी सब्जी आंगन में गिरा दी और जोर जोर से माफी मांगने लगी। दूसरे दिन बहु दूध ले रही थी कि सास जोर से चिल्लाई, बहु, तूने छन्नी क्यों नहीं ली? सुनते ही बहु कांपने लगी और दूध की पतीली उसके हाथ से गिर गई और वह माफी मंागने लगी। अब सास बोले तो क्या बोले। कुछ दिन बाद घर में कोई कार्यक्रम था, बहु खीर परोस रही थी। इसी समय सास जोर से चिल्लाई, अरे बहु, कैसे परोस रही है? सुनते ही बहु डर कर कांपने लगी और खीर की पतीली उसके हाथ से छूट गई।

बहु एक सुर से माफी ही मांगती जा रही थी

सब अतिथियों की पत्तलें, कपडे़ खराब हो गए। सभी ने उसे कहा कि उसे इतनी जोर से नहीं डांटना था। बहु बेचारी डर गई। उधर बहु एक सुर से माफी ही मांगती जा रही थी। अब सास समझ गई कि उसके सामने धीरे बोलने के अलावा कोई चारा नहीं है। अगले दिन से ही घर के सब लोग हैरान रह गए जब उन्होंने सास को बहु से मीठी आवाज में बात करते सुना। उसके बाद से किसी ने सास को तेज आवाज में चिल्लाते नहीं सुना। यह तो सब समझते हैं कि डर कर जीने का कोई मतलब नहीं होता। जीवन में कभी भी ऐसी स्थिति बन सकती है, किसी ऐसे व्यक्ति से पाला पड़ सकता है जो डर पैदा कर आपका जीवन मुश्किल बना सकता है। ऐसे में निराश होने से बात नहीं बनती, बल्कि चतुराई से काम निकालना पड़ता है। यदि आपने सही युक्ति पकड़ ली तो विश्वास कीजिए, किसी को भी काबू करना आसान हो जाएगा।

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English summary
Fear exists to keep us safe. It is not inherently bad or good but a tool we can use to make better decisions. here is Some Ways To Conquer Fear.
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