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आखिर क्यों 'मोहर्रम' एक त्योहार नहीं बल्कि है मातम का दिन?
बैंगलोर। 'मोहर्रम' कोई त्योहार नहीं है बल्कि मुस्लिमों के शिया समुदाय के लिए ये एक मातम का दिन है, जिसे कि वो इमाम हुसैन के शोक में मनाते हैं।
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आईये जानते हैं इस पर्व से जुड़ी खास बातें...
- इस्लामी कैलेंडर के अनुसार 'मोहर्रम' महीने की पहली तारीख को मुसलमानों का नया साल हिजरी शुरू होता है।
- इस्लामी या हिजरी कैलेंडर एक चंद्र कैलेंडर है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में इस्तेमाल होता है बल्कि दुनियाभर के मुसलमान भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए इसी का इस्तेमाल करते हैं।
- इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है।
- अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने इस मास को अल्लाह का महीना कहा है। साथ ही इस मास में रोजा रखने की खास अहमियत बयान की है।
इतिहास
- 'मोहर्रम' का इस्लाम धर्म में बहुत महत्व है। सन् 680 में इसी माह में कर्बला नामक स्थान मे एक धर्म युद्ध हुआ था, जो पैगम्बर हजरत मुहम्म्द साहब के नाती और यजीद (पुत्र माविया पुत्र अबुसुफियान पुत्र उमेय्या) के बीच हुआ।
- इस धर्म युद्ध में जीत हजरत साहब की हुई।
- लेकिन जाहिरी तौर पर यजीद के कमांडर ने हज़रत इमाम हुसैन ० और उनके सभी 72 साथियो (परिवार वालो) को शहीद कर दिया था।
- जिसमें उनके छः महीने का पुत्र हज़रत अली असग़र भी शामिल थे।
- इसलिए तभी से तमाम दुनिया के मुसलमान इस महीने में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का ग़म मनाकर उन्हें याद करते हैं।
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English summary
Muharram is an important occasion which marks the holy day of Ashura. Muharram is one of the four sacred months of the year and is considered the holiest month after Ramadan. The word ‘Muharram’ means forbidden and sinful.
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