Mother's Day Special: मेरे पास मां है...
मां की अंगुली पकड़कर ही तो कई बार गिर-गिर और संभल कर हम चलना सीखते हैं। विफलताओं की ठोकर लगने पर मां के कोमल स्पर्श मात्र से शरीर में एक नई शक्ति का संचार हो जाता है।
ये वही मैं और ये वही तुम, हम दोनो एक साथ इस फुठपाथ से उठे थे... आज मैं कहां हूं और तुम कहां, आज मेरे पास गाड़ी है, बंगला है, बैंक बैलेंस है तुम्हारे पास क्या है? मेरे पास मां है" फिल्म दीवार का यह डॉयलाग बिल्कुल सच है क्योंकि जिनके पास मां है उनके पास दुनिया की सारी दौलत है। क्योंकि वो एक बार सिर पर हाथ फेर दे तो सारे रंजोगम दूर हो जाते हैं। दुनिया के सारे रिश्तों में सबसे उपर है मां का रिश्ता। आज मदर्स डे है और इस खास दिन पर पेश है वन इंडिया की तरफ से खास पेशकश "मेरे पास मां है"
कहीं बदनसीब भी है मां
मां.. यह शब्द, जितना छोटा है उससे कहीं ज्यादा गहरा है इसका एहसास। जिस तरह से यह शब्द एक अक्षर पर टिका है, उसी तरह इसका भाव भी एक ही है और वो है वात्सल्य या स्नेह। अपने इस विशेष पेशकश में कुछ ऐसी मां के बारे में भी चर्चा कर रहे हैं जो बदनसीब हैं। मां सृजनशक्ति है। न सिर्फ वह अपने भीतर एक नए शरीर की रचना करती है, बल्कि हम और आप जिस रूप में है, उस व्यक्तित्व का निर्माण भी मां ही करती है। मां की अंगुली पकड़कर ही तो कई बार गिर-गिर और संभल कर हम चलना सीखते हैं। विफलताओं की ठोकर लगने पर मां के कोमल स्पर्श मात्र से शरीर में एक नई शक्ति का संचार हो जाता है। मगर कुछ मां ऐसी भी है जो बदनसीब हैं।
जिसे पेट में पाला वो सहारा भी नहीं देता
नौ महीने पेट में जिस बच्चे को पाला आज वह बूढ़ी मां का खर्च उठाने को तैयार नहीं है। कामकाजी बेटा होने के बावजूद दिल्ली में रहने वाली 70 साल की एक मां अपने बूढ़े पति और एक अपाहिज बेटे का भार अपने कंधों पर ढो रही हैं। मदर्स डे के सवाल पर वह कहती हैं कि आज के बच्चे कहां समझते हैं मां का मतलब। उन्हें तो बस अपनी जिंदगी की पड़ी है। मैं अपने परिवार की जिंदगी चलाने के लिए दफ्तरों के धक्के खा रही हूं मगर मेरा दूसरा बेटा खाना देने को तैयार नहीं है। वहीं तिहाड़ जेल में बंद वे महिला कैदी जो मां हैं, मदर्स डे पर फोन व पत्र का बेसब्री से इंतजार करती है।
कबसे और क्यों मनाया जाता है मदर्स डे
1918 में यह फ्रांस के लियोन शहर में उन सैनिकों की माताओं के सम्मान में मनाया गया जिनके पुत्र प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हो गए थे। 1929 में फ्रांस सरकार ने इसे मान्यता प्रदान की। इटली में जहां पहली बार 12 मई 1957 को मदर्स डे मनाया गया वहीं इजराईल में 21 मार्च को इस दिवस को मनाते हैं। जापान में 1937 में अहितो सम्राट की माता के जन्म दिवस पर यह 6 मार्च को पहली बार मनाया गया। 1949 से यह मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। लोग जापान में इस दिन माताओं को उपहार विशेषत: लाल गुलाब देते हैं। अमेरिका तथा पाकिस्तान में भी यह मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। पनामा में यह दिवस जहां 8 दिसम्बर को मनाया जाता है वहीं रोमानिया में इसकी शुरूआत 2010 से हुई तथा मई के प्रथम सप्ताह में मनाया गया। श्रीलंका में सिंहली, तमिल व बौद्ध सभी धर्मों व वर्गों के लोग मातृ दिवस मनाते हैं। मातृ दिवस को मनाने की परम्परा 20वीं सदी के प्रथम दशक से शुरू मानी जाती है तथा 21वीं सदी के प्रथम दशक तक इस ‘सम्मान दिवस' का वैश्वीकरण हो चुका है। यह अच्छा है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मां के सम्मान का एक दिवस विशेष आयोजित किया जाता है।
लेकिन क्या दिवस विशेष पर ही मां सम्मान व आदर की हकदार है?
बात अगर भारतीय परिवेश व संस्कृति की करें तो यहां हमारी संस्कृति में तो प्रत्येक दिवस माता-पिता, बड़ों व गुरुजनों के सम्मान को समर्पित है। प्राचीन समय से लेकर वर्तमान तक माताओं ने कलेजे पर पत्थर रख कर देश, राष्ट्र, समाज, धर्म व मानवता की रक्षा हेतु अपने लालों को समर्पित किया है। ''मां के आंचल में बस सपने पलते हैं। कैसे और कब वो हकीकत के पंख लगा उड़ते हैं, न हमको पता है, न तुमको पता है, बस मां की रातजगी अंखियों का ये सिला है'' जी हां मां ऐसी ही होती है और इसके बारे में जितना भी लिखा जाये वो कम हैं। मगर इस विशेष पेशकश पर आपसे एक सवाल है जिसका जवाब आप नीचे दिए कमेंट बाक्स में दे सकते हैं।
- आपने अपनी मां को किस तरह मदर्स डे विश किया?
- मदर्स डे से जुड़ी आपकी कोई कहानी या फिर आपकी कोई कीमती राय?
- आप अपनी मां के लिये ऐसा क्या खास और हटकर करना चाहते हैं जिसे उन्हें खुशी मिले?
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