Mauna panchami 2021: उत्तम फल की प्राप्ति के लिए गोधूलि बेला में कीजिए शिव की पूजा, ये है शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली, 28 जुलाई। आज मौना पंचमी व्रत है, दरअसल सावन महीने की पंचमी को मौना पंचमी कहते हैं। आज के दिन भगवान शिव और उनके गहने शेषनाग की पूजा होती है। आज पूरे दिन मौन व्रत रखा जाता है इसलिए इस व्रत का 'मौना पंचमी व्रत' है। आज के दिन शिव और शेषनाग की पूजा सूखे फलों से की जाती है। प्रदोष व्रत की तरह आज के दिन भी गोधूलि बेला में पूजा करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से सुहागिनों के पति को लंबी आयु मिलती है और उन्हें संतान की प्राप्ति होती है।
शुभ मुहूर्त
गोधूलि
बेला
शाम
07
बजकर
01
मिनट
से
07
बजकर
25
मिनट
तक।
निशिथ
काल
मध्यरात्रि
12
बजकर
07
मिनट
से
12
बजकर
49
मिनट
तक
।
शेषनाग को नाग स्तोत्रम् की अराधना से कीजिए प्रसन्न
- ब्रह्म लोके च ये सर्पाः शेषनागाः पुरोगमाः।
- नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
- विष्णु लोके च ये सर्पाः वासुकि प्रमुखाश्चये।
- नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
- रुद्र लोके च ये सर्पाः तक्षकः प्रमुखास्तथा।
- नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
- खाण्डवस्य तथा दाहे स्वर्गन्च ये च समाश्रिताः।
- नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
- सर्प सत्रे च ये सर्पाः अस्थिकेनाभि रक्षिताः।
- नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
- प्रलये चैव ये सर्पाः कार्कोट प्रमुखाश्चये।
- नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
- धर्म लोके च ये सर्पाः वैतरण्यां समाश्रिताः।
- नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
- ये सर्पाः पर्वत येषु धारि सन्धिषु संस्थिताः।
- नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
- ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पाः प्रचरन्ति च।
- नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
- पृथिव्याम् चैव ये सर्पाः ये सर्पाः बिल संस्थिताः।
- नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
- रसातले च ये सर्पाः अनन्तादि महाबलाः।
- नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताः प्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
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शिव जी की कैसे करें पूजा
- मौन व्रत सुबह से रखा जाता है।
- शिव जी पूजा गोधूलि बेला में होती है।
- पूजा करने से पहले सारे व्रती पुनः स्नान करें और स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को पोछा लगाकर शुद्ध करें।
- इसके बाद पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें।
- कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें।
- कुश के आसन पर बैठ कर शिवजी की पूजा विधि-विधान से करें।
- ऊं नमः शिवाय मंत्र बोलते हुए शिवजी को जल अर्पित करें।
- इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर शिवजी का ध्यान करें।
- ध्यान के बाद कथा पढ़ें।
- कथा समाप्ति के बाद शिवजी की आरती करें, प्रसाद बांटे।