Makar Sankranti 2018: मकर संक्रांति आते ही खरमास खत्म, आया मौसम शादियों का....
नई दिल्ली। श्रद्धा और आस्था का पर्व मकर संक्रान्ति पूरे देश में धूम-धाम से मनाया गया। उत्तर भारत में ये पर्व दो दिन मनाया गया , कुछ लोगों ने संक्रांति कल यानी रविवार को सेलिब्रेट की तो कहीं-कहीं आज घरों में खिचड़ी बनाई गई है। दरअसल 14 जनवरी की दोपहर 1:47 बजे सूर्यदेव का प्रवेश मकर राशि में हुआ था, सूर्यदेव आज सुबह 5:11 बजे तक मकर राशि में थे, इस कारण संक्रांति दो दिन मनाई गई।
क्या है गंगा स्नान का महत्व
संक्रान्ति पर गंगा स्नान का काफी महत्व है, मान्यतानुसार इस दिन पवित्र नदियों में देवी-देवता रुप बदलकर स्नान करने आते हैं। गंगा में इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। इसी कारण इस दिन संगम नगरी इलाहाबाद और काशी के घाटों पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली, जो कि गंगा में डुबकी लगाने के लिए बेचैन दिखाई पड़े।
संक्रांति के आने का मतलब खरमास का समाप्त होना है, इस कारण भी यह पर्व हिंदुओं के लिए काफी मायने रखता है। दरअसल संक्रांति से सूर्यदेव उत्तरायण में आ जाते हैं जिससे कि खरमास खत्म हो जाता है। खरमास में कोई भी मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं लेकिन इनके खत्म होते ही तमाम शुभ काम का योग शुरू हो गए हैं। अब घरों में लगन की बातें होंगी, तिलक होंगे और मांगलिक कामों का आरंभ होगा। कहते हैं कि संक्राति का मतलब देवकाल आरंभ हो जाता है इस कारण अब कोई भी काम करने में व्यवधान नहीं आता है।
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