Mahavir Jayanti 2020: भगवान महावीर ने कहा था-घृणा से मनुष्य का सिर्फ विनाश ही होता है
नई दिल्ली। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। महावीर जयंती को 'कल्याणक' के नाम से भी जाना जाता है। ये जैन समुदाय का यह सबसे प्रमुख पर्व है। जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर ने लोगों को समझाया कि अपना नजरिया बदलो तभी दुनिया अच्छी लगेगी, अगर आपके नजर में खराबी है तो आप अच्छे-खासे वस्त्र वाले इंसान को भी बिना कपड़े वाला ही समझेंगे।
भगवान महावीर को 'वर्धमान', वीर', 'अतिवीर' और 'सन्मति' भी कहा जाता है
भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था। महावीर को 'वर्धमान', वीर', 'अतिवीर' और 'सन्मति' भी कहा जाता है। तीस वर्ष की आयु में गृह त्याग कर, दीक्षा लेकर आत्मकल्याण के पथ पर निकले महावीर को 12 वर्षो की कठिन तपस्या के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ था।उन्हें 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। त्याग और तपस्या के प्रतीक महावीर ने दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया और जीवन के पांच मूल मंत्र लोगों को सिखाये जो कि जैन धर्म का मंत्र बन गया।
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भगवान महावीर के ये मंत्र
- सत्य: सदा सत्य बोलो क्योंकि सच्चे इंसान के साथ कभी कुछ गलत नहीं होता। सत्य की जीत हमेशा होती है और जहां 'सत्य' नहीं वहां 'धर्म' नहीं होता है।
- अहिंसा: जीव हत्या मत करो, दुनिया के हर जीव के प्रति अपने मन में दया का भाव रखो। उनकी रक्षा करो।
- अपरिग्रह: जो आदमी खुद सजीव या निर्जीव चीजों का संग्रह करता है, दूसरों से ऐसा संग्रह कराता है उसको दुःखों से कभी छुटकारा नहीं मिल सकता।
- ब्रह्मचर्य: ब्रह्मचर्य उत्तम तपस्या, नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय की जड़ है। जो पुरुष स्त्रियों से संबंध नहीं रखते, वे मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ते हैं।
- क्षमा: जो क्षमादान देना जानता है वो दुनिया का सर्वश्रेष्ठ इंसान है। धर्म: अहिंसा, संयम और तप ही धर्म है। अस्तेय: कभी भी चोरी नहीं करनी चाहिए।
भगवान महावीर के अनमोल वचन
- अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है अत: हमें 'जियो और जीने दो' के संदेश पर कायम रहना चाहिए।
- प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता।
- शांति और आत्मनियंत्रण ही सही मायने में अहिंसा है।
- हर जीवित प्राणी के प्रति दयाभाव ही अहिंसा है। घृणा से मनुष्य का विनाश होता है।
- सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान का भाव ही अहिंसा है।
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