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Mahashivratri 2021 पर जानें क्यों की जाती है शिवलिंग की पूजा,मनकामेश्‍वर मंदिर की महंत देव्‍यागिरी ने बताया सच

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लखनऊ। महाशिवरात्रि ( Mahashivratri 2021 ) का पर्व 11 मार्च 2021 को मनाया जा रहा है। कहते हैं भगवान भोले सबके दुख हर लेते हैं और अपने भक्‍त की सभी मनोकामना पूरी करते हैं। इसलिए मान्‍यता है कि महाशिवरात्रि के दिन सभी को उपवास करते हुए भोले शंकर की उपासना करनी चाहिए। उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित प्राचीन मनकामेश्‍वर मंदिर की महिला महंत देव्‍यागिरी से वन इंडिया हिंदी की रिपोर्टर भावना पाण्‍डेय ने एक्‍सक्‍लूसिव इंटरव्‍यू किया और महाशिवरात्रि और भगवान शिव की पूजा से जुड़े कई पहलुओं पर बात की। शिवलिंग को महिलाओं को स्‍पर्श करना चाहिए कि नहीं समेत शिव पूजा से जुड़े ऐसे ही कई तमाम मान्‍यताओं, परंपराओं पर, महाशिवरात्रि के पर्व के महत्‍व पर दिव्‍यागिरी ने जानकारी दी। आइए जानते हैं उन्‍होंने क्या कहा?

महाशिवरात्रि की क्या महत्‍ता है और इसे महाशिवरात्रि ही क्यों कहा जाता है?

महाशिवरात्रि की क्या महत्‍ता है और इसे महाशिवरात्रि ही क्यों कहा जाता है?

महंत देव्‍यागिरी ने कहा- "महाशिवरात्रि एक ऐसा पर्व होता है जिसे हम बहुत तैयारी के साथ मनाते हैं। फाल्‍गुन मास में ऐसे दो पर्व पड़ते हैं जो प्रमुख रूप से भारत ही नहीं विदेश में भी मनाया जाता है शिवरात्रि और होली। महाशिवरात्रि शब्द में ही उसका अर्थ छिपा है महा+शिव+ रात्रि। जो शिवरात्रि चर्तुदशी पर पड़ती है उसे शिवरात्रि कहते हैं लेकिन हिंदी वर्ष के फाल्‍गुन मास में जब शिवरात्रि पड़ती है उस महाशिवरात्रि पर पर्व मनाया जाता है। शिव जी की उपासना दो रूपों में होती है शिवलिंग और विग्रह के रूप में। शिव भगवान ऐसे देवता है जो दो रूपों में पूजे जाते है निराकार और साकार। महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे इसलिए उनके प्रकट्य दिवस के रूप में हम शिवरात्रि मनाते हैं"।

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क्या महाशिवरात्रि के दिन शिवा पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए ये पर्व मनाया जाता है?

क्या महाशिवरात्रि के दिन शिवा पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए ये पर्व मनाया जाता है?

महंत देव्‍यागिरी ने कहा- "जहां तक शिव पार्वती के विवाह के दिन की प्रश्‍न है इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं मिलता लेकिन हरितालिका यानी कजरी तीज,जिस दिन महिलाएं निराजल व्रत रहती है उस दिन पार्वती जी ने शिव जी को पाया था और मानते हैं उसी दिन उनका विवाह हुआ था। शिवरात्रि का विशेष दिन शिव भगवान के प्राक्‍ट्य दिवस के रूप में मनाते हैं जब प्रलय आई थी उसके बाद सृष्टि का पहला दिन जिस दिन भगवान शिव शिवलिंग के रूम में प्रकट हुए उसी दिन महाशिवरात्रि होती है। इसलिए शिवरात्रि के पहले की पूरी रात्रि हम पूरी रात्रि शिवजी की उपासना करते हैं और दूसरे दिन हम जप-तप और पूजा अर्चना करते हैं। महाशिवरात्रि के दिन जप तप करने का फल साल भर मिलता है। इस दिन पूजा करने से पूरे वर्ष का पुण्‍य प्राप्‍त होता है इसलिए इस दिन सभी को शिव भगवान का व्रत और पूजा अर्चना करनी चाहिए।"

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शिवलिंग पर दूध नहीं चढ़ाना चाहिए उसे किसी जरूरतमंद भूखे को दे देना चाहिए, लोग अब ये कहने लगे हैं इसके बारे में क्या राय है आपकी?

शिवलिंग पर दूध नहीं चढ़ाना चाहिए उसे किसी जरूरतमंद भूखे को दे देना चाहिए, लोग अब ये कहने लगे हैं इसके बारे में क्या राय है आपकी?

महंत देव्‍यागिरी ने कहा- "इसमें सच्‍चाई है अगर हम इस क्षेत्र में काम करें तो बेहतर होगा। शिवरात्रि पर भोलेनाथ पर जो दूध चढ़ाया जाता है कहीं और नहीं चढ़ाया जाता। अगर आप शिवलिंग पर दूध समर्पित कर रहे तो ये देखे कि वो वेस्‍ट न हो। जैसे हमारे मनकामेश्‍वर मंदिर में जो भोलेनाथ पर दूध चढ़ता है उसकी निकासी बाहर की नहीं है जो आप हारवेस्टिंग कर सकें। पानी तो धरती में समाहित हो जाता है लेकिन दूध नहीं जाता। इसलिए हमने एक पहल की कि जो शिवलिंग पर जो 151 लीटर और 251 लीटर दूध का अभिषेक जो हम करते हैं उस समय हम नीचे पात्र लगा कर उसमें दूध एकत्र करते है। उसके बाद उसकी खीर और दूध का प्रसाद बनवा कर जरूरतमंद और भक्‍तों में बटवा देते हैं। ऐसा सभी को करना चाहिए।"

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महिलाओं को क्या शिवलिंग नहीं को स्‍पर्श नहीं करना चाहिए ? क्या ये सही है?

महिलाओं को क्या शिवलिंग नहीं को स्‍पर्श नहीं करना चाहिए ? क्या ये सही है?

महंत देव्‍यागिरी ने कहा- इसके पीछे प्र‍चलित मिथ हैं उसको अवश्‍य समझना चाहिए। कुछ लोग भोलेनाथ की पिंडी को डिस्‍क्राइव करते है कि ऊपरी हिस्‍सा शिव जी का है और निलचा हिस्‍सा पार्वती मां है। वो लिंग रूप में है इसलिए स्‍त्री और पुरुष का भाव होता है वो उसको लेते हैं ये गलत है। पूरा शिवलिंग इतना ऊर्जा से भरा होता है और उसके आस-पास के रेडियोएक्टिव किरणें होती हैं इसलिए मना किया जाता है कि जब महिलाओं का निषिद्ध काल हो यानी कि जब आप असुद्ध रूप में होते हैं तो उसको नहीं छूना चाहिए। हम जब अपना पूरा जीवन भोलेनाथ को समर्पित कर चुके हैं और परमेश्‍वर को अपने मां-पिता के रूप में देखते हैं तो ऐसा कोई भाव रह भी जाता है कि नहीं छूना चाहिए ।अगर आप दक्षिण भारत में जाएंगे तो वहां पर ये नियम शुद्धता और असुद्धता के लिए बना होगा वहां पर पुजारीगड ही मंदिर के अंदर रहते हैं बाकी मूर्ति या शिवलिंग तक जाने की परमीशन नहीं होती है।"

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English summary
Maha Shivratri 2021: Is Women prohibited from touching Shivlinga, what says Mahant Divyagiri?
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