चंद्रग्रहण, गर्भावस्था, सेहत और अंधविश्वास...आखिर सच क्या है?
ग्रहण के वक्त गर्भवती महिलाओं से कहा जाता है कि वो इस वक्त ना तो कोई चीज काटे और ना ही सूई-धागे का प्रयोग करें क्योंकि इससे होने वाले बच्चे की सेहत पर फर्क पड़ता है।
नई दिल्ली। साल 2017 का पहला चंद्रग्रहण 10/11 फरवरी को पड़ने वाला है, जब भी ग्रहण की बात होती है घर के बुजुर्ग लोगों के बनाए नियमों का पालन सख्ती से शुरू हो जाता है और जिन घरों में कोई महिला मां बनने वाली होती है, वहां तो ये नियम और तेजी से फॉलो होने लगते हैं।
साल 2017 का पहला चंद्रग्रहण 10/11 फरवरी को, बच कर रहें कुंवारे
अक्सर इस मुद्दे पर बहस भी छिड़ती है क्योंकि वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो कि तब होती है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं।
पूजा-पाठ करें, घरों को शुद्द रखें
लेकिन हमारे यहां इसे धर्म से जोड़ दिया गया है इसलिए ग्रहण के वक्त ना तो लोग कुछ खाते-पीते हैं और ना ही शुभ काम करते हैं, इस दौरान लोगों को कहा जाता है कि वो पूजा-पाठ करें, घरों को शुद्द रखें और ईश्वर का ध्यान करें।
चाकू, कैंची आदि का प्रयोग
गर्भवती महिलाओं से कहा जाता है कि वो इस वक्त ना तो कोई चीज काटे और ना ही सूई-धागे का प्रयोग करें क्योंकि इससे होने वाले बच्चे की सेहत पर फर्क पड़ता है। ग्रहण के वक्त चाकू, कैंची आदि का प्रयोग करने से बच्चे के होंठ और कान कट जाते हैं।
चंद्रग्रहण में बाहर ना निकलें
गर्भवती महिलाओं और कुंवारी लड़कियों को भी ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलने से रोका जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान जो कालिमा और तरंगे बाहर निकलती हैं, वो दोनों के लिए सही नहीं हैं।
ऊंचे स्वरों में मंत्रों का जाप
ग्रहण के दौरान लोगों से कहा जाता है कि वो ऊंचे स्वरों में मंत्रों का जाप करें, जिसके पीछे धार्मिक कारण जो भी हो, वैज्ञानिक तथ्य ये कहते हैं कि ग्रहण के वक्त पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा पड़ती है। मंत्रों के उच्चारण में उठने वाली तरंगें घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती हैं, ऊंचे स्वर होने के कारण दिमाग केवल मंत्रों को ही सुनता और समझता है जिसके कारण निगेटिव चीजें गायब हो जाती हैं।
खुली आंखों से देख सकते हैं चंद्रग्रहण
चंद्रग्रहण को आप बिना किसी स्पेशल चश्में के खुली आंखों से देख सकते हैं क्योंकि इससे आंखों को नुकसान नहीं होता लेकिन अक्सर ऐसा करने से भी लोग रोकते हैं क्योंकि पुराणों में कहा गया है कि चंद्रमा को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए क्योंकि उसे श्राप मिला है,जो भी चंद्रमा को सीधे तौर पर देखता है वो भी कलंक का शिकार हो जाता है जबकि वैज्ञानिक इसे सही नहीं मानते।