Parshuram Jayanti 2023: प्रदोषकाल में करें भगवान परशुराम की पूजा, मिटेंगे कष्ट
Parshuram Jayanti: शास्त्रों का कथन है कि जब धरती पर भगवान विष्णु कल्की अवतार के रूप में प्रकट होंगे तब परशुराम उनकी सहायता करेंगे।
Parshuram Jayanti 2023: भगवान विष्णु के दशावतार में से एक भगवान परशुराम का प्राकट्योत्सव वैशाख शुक्ल तृतीया 22 अप्रैल 2023 शनिवार को मनाया जाएगा। महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। भगवान परशुराम का प्राकट्य वैशाख शुक्ल तृतीया को सायंकाल प्रदोषकाल में हुआ था। परशुराम सात चिरंजीवी में से एक हैं और आज भी धरती पर जीवित मौजूद हैं।
ब्राह्मण समाज भव्य आयोजन
भगवान परशुराम सकल ब्राह्मण समाज के आराध्य हैं। परशुराम जन्मोत्सव के दिन ब्राह्मण समाज भव्य आयोजन कर उनका पूजन करता है। जन्म के बाद माता-पिता ने भगवान परशुराम का नाम राम रखा था। वे भगवान शंकर के अनन्य भक्त थे, उनके कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें कई अस्त्र, शस्त्र प्रदान किए थे। फरसा भी उन्हीं में से एक था। फरसा को परशु कहा जाता है इसलिए परशु मिलने के बाद उनका नाम परशुराम हुआ।
परशुराम की जन्मस्थली
भगवान परशुराम की जन्मस्थली मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के ग्राम मानपुर में जानापाव नामक पर्वत माला है। यहां मध्यप्रदेश सरकार उनका भव्य मंदिर बनवा रही है।
बल, शौर्य से भर देता है परशुराम गायत्री मंत्र
परशुराम जन्मोत्सव के दिन परशुराम गायत्री मंत्र का जाप बल, शौर्य, साहस और शक्ति से भर देता है। इस मंत्र से साधक को भूमि, धन, ज्ञान, अभीषट सिद्धि, शत्रु से मुक्ति, दारिद्रय का दमन, संतान प्राप्ति, वाक सिद्धि प्राप्त होती है।
मंत्र है
- ऊं जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नो परशुराम: प्रचोदयात् ।
- ऊं ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि, तन्नो राम: प्रचोदयात् ।
- ऊं रां रां ऊं रां रां परशुहस्ताय नम: ।
प्रदोषकाल में होगा पूजन
भगवान परशुराम का जन्म सायंकाल प्रदोषकाल में हुआ था। अत: पूजन भी प्रदोषकाल में किया जाएगा। प्रदोषकाल सायं 6 बजकर 49 मिनट से 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भगवान परशुराम की मूर्ति को दूध और गंगाजल से स्नान करवाकर मंत्रोच्चार सहित विधि-विधान से पूजन संपन्न करें।
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