'नेताओं में सोचने की कमी से देश बीमार हुआ'
भारत के बारे में पढ़ने का शैक रखने वालों के लिए रामचंद्र गुहा का इतिहासकार व स्तंभकार ने कई किताबें लिखी हैं, जिनमें 'इंडिया आफ्टर गांधी' प्रमुख रूप से शामिल है। अपनी इस नई किताब में गुहा ने देश की राजनीतिक दशा पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि भारत एक मनोरम देश है। यहां के नागरिक क्रोध शील नहीं हैं।
भारत को मनोरम यहां की जनसंख्या या देश का बड़ा आकार नहीं बनाता, न ही विविधता बनाती है, बल्कि भारत में इस समय पांच नाटकीय परिवर्तन हो रहे हैं- शहरी क्रांति, औद्योगिक क्रांति, राष्ट्रीय क्रांति, सामाजिक क्रांति और लोकतांत्रिक क्रांति। पुस्तक 'मेकर्स ऑफ इंडिया' में उन लोगों प्रस्तुत किया गया है, जो देश को बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं और अच्छे चिंतनाशील हैं।
'मेकर्स ऑफ मॉडर्न इंडिया' (ऑनलाइन खरीदने के लिए क्लिक करें) को लिखते वक्त गुहा ने शब्दों का बेहतरीन चयन किया है, जिससे लोगों व समाज पर जबर्दस्त प्रभाव छोड़ने में सफल होगी।
गुहा का कहना है कि सुभाष चंद्र बोस और सरदार वल्लभ भाई पटेल भले ही ज्यादा चिंतनशील नहीं थे, लेकिन उन्होंने जो काम किए, वो देश के निर्माण में काम आए। इंदिरा गांधी अपने पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू से पूरी तरह इतर थीं, उनके भाषण और लेख कतई अच्छे नहीं होते थे। वहीं दयानंद सरस्वती, दादाभाई नारोजी, स्वामी विवेकानंद, एस राधाकृष्णन और ऑरबिंदो ने कई पीडि़यों तक अपना प्रभाव छोड़ा।
गुहा के मुताबिक इस किताब के माध्यम से उन्होंने संदेश दिया है कि इस पुस्तक को आप मृत मानिए, क्योंकि ऐसा कोई राजनेता जीवित नहीं है, जो मूलभूत तरीके से सोच सके व लिख सके। या फिर एकदम अलग तरीके से भारतीय समाज का मार्गदर्शन कर सके।
देश की अस्ली तस्वीर दिखाने वाली गुहा की इस किताब को जरूर पढ़ें। उसके लिए आपको बाजार जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बस एक क्लिक पर किताब आपके घर पहुंच जाएगी।
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