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Kushotpatini Amavasya: कुशोत्पाटिनी अमावस्या आज, जानिए इसका महत्व

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। भाद्रपद माह की अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या कहा जाता है। कुशोत्पाटिनी का अर्थ है कुशा को उखाड़ना या उसका संग्रहण करना। इस अमावस्या पर धार्मिक कार्यों, पूजा-पाठ आदि के लिए वर्ष भर तक चलने वाली कुशा का संग्रहण किया जाता है। इस वर्ष कुशोत्पाटिनी अमावस्या आज है। कुशा का उपयोग हिंदू पूजा पद्धति में प्रमुखता से किया जाता है। न केवल पूजा बल्कि श्राद्ध आदि में भी कुशा का उपयोग होता है। इसलिए यह अमावस्या कुशा के संग्रहण का दिन होता है।

अमावस्या तिथि

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ 29 अगस्त को सायं 19:55:27 बजे से
  • अमावस्या तिथि समाप्त 30 अगस्त को सायं 16:06:59 तक
श्राद्ध कर्म, तर्पण, पिंडदान

श्राद्ध कर्म, तर्पण, पिंडदान

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को पितरों के निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध कर्म, तर्पण, पिंडदान आदि के लिए विशेष माना जाता है। यह तिथि दान-पुण्य, कालसर्प दोष निवारण के लिए भी महत्वपूर्ण मानी गई है। भाद्रपद माह भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्री गणेश की आराधना का महीना होता है इसलिए इस माह में आने वाली अमावस्या और पूर्णिमा दोनों का बड़ा महत्व बताया गया है। भाद्रपद अमावस्या में परिवार की सुख-शांति और धन-संपदा की प्राप्ति के लिए भी अनेक उपाय किए जाते हैं। भाद्रपद अमावस्या को पिथौरा अमावस्या भी कहा जाता है, इसलिए इस दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। कहा जाता है इस दिन माता पार्वती ने इंद्राणी को इस व्रत का महत्व बताया था। विवाहित स्त्रियों द्वारा संतान की प्राप्ति एवं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।

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कुशा निकालने के नियम

कुशा निकालने के नियम

कुशा एक प्रकार की घास होती है। कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन कुशा को निकालने के लिए कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है। शास्त्रों में दस प्रकार की कुशा का वर्णन दिया गया है।

कुशा: काशा यवा दूर्वा उशीराच्छ सकुंदका:।
गोधूमा ब्राह्मयो मौन्जा दश दर्भा: सबल्वजा:।।

मान्यता है कि घास के दस प्रकारों में जो भी घास सुगमता से एकत्रित की जा सकती हो इस दिन कर लेनी चाहिए। लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि कुशा को किसी औजार से ना काटा जाए, इसे केवल हाथ से ही एकत्रित करना चाहिए और उसकी पत्तियां अखंडित होना चाहिए। यानी पत्तियों का अग्रभाग टूटा हुआ नहीं होना चाहिए। कुशा एकत्रित करने के लिए सूर्योदय का समय सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसके लिए उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें और दाहिने हाथ से एक बार में ही कुशा को निकालें।

क्या करें कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन

क्या करें कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन

  • कुशोत्पाटिनी अमावस्या के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर किसी पवित्र नदी, कुएं आदि में स्नान करें। कुआं या नदी उपलब्ध ना हो तो घर में ही पवित्र नदियों का जल पानी में डालकर स्नान करें।
  • इसके बाद उगते सूर्य को तांबे के कलश में तिल डालकर अर्घ्य दें।
  • यदि पितरों के निमित्त तर्पण आदि करना चाहते हैं तो इस अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी के किनारे पंडित के माध्यम से तर्पण, पिंडदान आदि कर्म करें और पितरों के निमित्त दान करें।
  • इस अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल के पांच दीपक लगाएं।
  • भाद्रपद अमावस्या के दिन सुबह के समय पीपल के पेड़ में मीठा कच्चा दूध अर्पित करने से धन और सुखों की प्राप्ति होती है।
  • इस अमावस्या के दिन हनुमानजी को चमेली के तेल और सिंदूर का चोला चढ़ाने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। कोर्ट-कचहरी के मामलों का निपटारा होता है।
  • इस दिन कालसर्प दोष की पूजा भी करवाई जा सकती है।
  • जन्मकुंडली में ग्रहण दोष है तो उसकी शांति की पूजा अमावस्या पर करवाना चाहिए।
  • शनि दोष, शनि की साढ़ेसाती आदि की शांति के लिए अमावस्या पर विशेष पूजा करवाएं।

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English summary
Kushotpatini Amavasya Tithi Begins at 19:56:55 on August 29 and Ends at 16:08:29 on August 30, 2019, Please read here Puja Vidhi and Importance.
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