Karwa or Karva Chauth 2018: करवा चौथ की संपूर्ण पूजन विधि
लखनऊ। पति की लम्बी उम्र की कामना करने हेतु कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाने वाला व्रत करवा चौथ के नाम प्रसिद्ध है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा करने के लिए कठोर तप स्वरूप निर्जला व्रत रखकर अपनी सहनशक्ति व त्याग का परिचय देती है। छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणोश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास या सास की उम्र के समान किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।
क्यों दिया जाता है अर्ध्य?
करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी को रखा जाता है। कार्तिक महीना हेमन्त ऋतु में पड़ता है और इस समय आकाश एक दम साफ रहता जिस कारण चन्द्रमा का अधिकत प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है। चन्द्र मन का प्रतिनिधित्व करता है। स्त्रियों का मन अधिक चंचल होता है इसलिए मन को स्थिर और शक्तिशाली बनाने के लिए करवा चौथ के दिन चन्द्रमा को अघ्र्य देने की परम्परा है।
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करवा चौथ व्रत की पूजन सामग्री
कुंकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेंहदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी, चांदी, सोने या पीतल आदि किसी भी धातु का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूँ, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए रूपये।
करवा की पूजा कीजिए
व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनकर श्रृंगार कर लें। इस अवसर पर करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का विधान है क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था इसलिए शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है। व्रत के दिन प्रातरू स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोल कर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें।
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