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Karwa Chauth 2020: करवा चौथ 4 नवंबर को, जानिए व्रत कथा

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। सुहागिन महिलाओं के लिए साल का सबसे बड़ा व्रत करवा चतुर्थी 4 नवंबर 2020, बुधवार मृगशिरा नक्षत्र में आ रहा है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आने वाले इस व्रत की रात्रि में चंद्रोदय उज्जैनी पंचांग के अनुसार रात्रि 8.31 बजे होगा। इस व्रत के प्रभाव से न केवल पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम में वृद्धि होती है, बल्कि दोनों को लंबी आयु और स्वस्थ जीवन प्राप्त होता है और परिवार में सुख-समृद्धि व्याप्त होती है।

 Karwa Chauth 2020: करवा चौथ 4 नवंबर को, जानिए व्रत कथा

करवा चतुर्थी के दिन सुहागिन महिलाएं हाथों में मेहंदी रचाकर, सोलह श्रृंगार करके अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए पूरे दिन निर्जला रहकर व्रत रखती हैं और रात्रि में चंद्रोदय होने पर चांद की पूजा करके व्रत खोलती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं करवा माता, गणेशजी और चांद की पूजा करती हैं।

कैसे होती है करवा चतुर्थी पूजा

एक चौकी पर जल से भरा कलश एवं एक मिट्टी के करवे में गेहूं भरकर रखते हैं। दीवार पर या कागज पर चंद्रमा, उसके नीचे गणेश, शिव तथा कार्तिकेय की चित्रावली बनाकर पूजा की जाती है। इस दिन निर्जल रहकर व्रत किया जाता है। चंद्रमा को देखकर अर्घ्य देकर भोजन किया जाता है।

करवा चतुर्थी व्रत कथा

एक समय इंद्रप्रस्थ नामक स्थान पर वेद शर्मा नामक एक विद्वान ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम लीलावती था। उसके सात पुत्र और वीरावती नामक एक पुत्री थी। युवा होने पर वीरावती का विवाह करा दिया। इसके बाद जब कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आई तो वीरावती ने अपनी भाभियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखा, लेकिन भूख-प्यास सहन नहीं कर पाने के कारण चंद्रोदय से पूर्व ही वह मूर्छित हो गई। बहन की यह हालत भाइयों से देखी नहीं गई। तब भाइयों ने पेड़ के पीछे से जलती मशाल का उजाला दिखाकर बहन को होश में लाकर चंद्रोदय होने की सूचना दी। वीरावती ने भाइयों की बात मानकर विधिपूर्वक अर्घ्य दिया और भोजन कर लिया। ऐसा करने से कुछ समय बाद ही उसके पति की मृत्यु हो गई। उसी रात इंद्राणी पृथ्वी पर आई। वीरावती ने उससे अपने दुख का कारण पूछा तो इंद्राणी ने कहा कि तुमने वास्तविक चंद्रोदय होने से पहले ही अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इसलिए तुम्हारा यह हाल हुआ है। पति को पुनर्जीवित करने के लिए तुम विधिपूर्वक करवा चतुर्थी व्रत का संकल्प करो और अगली करवा चतुर्थी आने पर व्रत पूर्ण करो। इंद्राणी की सलाह मानकर वीरावती ने उसी समय व्रत का संकल्प लिया। उसके प्रभाव से इंद्राणी ने उसके पति को जीवित कर दिया। इसके बाद वीरावती ने अगली करवा चतुर्थी पर विधिपूर्वक व्रत पूर्ण किया।

चतुर्थी कब से कब तक

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ 4 नवंबर सूर्योदय पूर्व 3.23 बजे से
  • चतुर्थी तिथि समाप्त 5 नवंबर सूर्योदय पूर्व 5.14 बजे तक
  • करवा चतुर्थी का चंद्रोदय 4 नवंबर को रात्रि 8.31 बजे

नोटः चंद्रोदय का समय उज्जैनी पंचांग के अनुसार है। स्थानीय समयानुसार इसमें कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनट तक का परिवर्तन संभव है।

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English summary
Karva or Karwa Chauth( 4rth November 2020) is most important festival for all married women.Read Katha and Importance.
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