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Kartik Purnima 2021: पूरे कार्तिक माह का फल कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करके पाएं

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली , 18 नवंबर। भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए भक्तों ने पूरे कार्तिक माह में जप, तप, पवित्र नदियों में स्नान, दान आदि कर्म किए। इस पवित्र माह का समापन 19 नवंबर 2021 को कार्तिक पूर्णिमा पर हो रहा है। कई लोगों ने पूरे कार्तिक माह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर तारों की छाया में स्नान, पूजन आदि किया, लेकिन जो लोग पूरे माह जल्दी उठकर स्नान आदि ना कर पाए उनके लिए कार्तिक पूर्णिमा का दिन पूरे माह का फल प्राप्त कर लेने का दिन है। कार्तिक पूर्णिमा पर सूर्योदय से पूर्व उठकर तारों की छाया में स्नान करके भगवान विष्णु और तुलसी का विधि-विधान से पूजन कर लेने से पूरे कार्तिक स्नान का फल मिल जाता है। इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा आदि पवित्र नदियों में स्नान करके दान-पुण्य करें। पवित्र नदियों तक न जा पाएं तो इनका जल पानी में डालकर स्नान करें। इस दिन को देव दीवाली भी कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों, सरोवरों में दीपदान करने से अक्षय पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।

 पूरे कार्तिक माह का फल कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करके पाएं

त्रिपुरोत्सव भी इसी दिन

शास्त्रों में कार्तिक माह की पूर्णिमा को सबसे बड़ी पूर्णिमा कहा गया है। इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है और यह भगवान शंकर के विजय दिवस के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकिइसी दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव का विधि-विधान से पूजन करने से समस्त मनोरथ पूर्ण होते हैं।

भीष्म पंचक व्रत का समापन

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भीष्म पंचक व्रत का समापन होता है। कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक यह व्रत किया जाता है। पांच दिन व्रत का समापन इस दिन होता है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा-पूजन भी करना चाहिए।

 पूरे कार्तिक माह का फल कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करके पाएं

कैसे करें कार्तिक पूर्णिमा का पूजन

कार्तिक पूर्णिमा का पूजन सायंकाल प्रदोषकाल में करने का विधान है। कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान का बड़ा महत्व है। इस दिन हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन, ओंकारेश्वर, गंगासागर आदि में स्नान करने के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा की संध्या के समय भगवान विष्णु का मत्स्यावतार भी हुआ था, इसलिए इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान करना चाहिए। इससे दस यज्ञों के समान मिलता है। पूर्णिमा के दिन प्रात: काल उठकर व्रत का संकल्प लेकर व्रती पवित्र नदी या तालाब पर स्नान करते हैं। स्नान के बाद यथाशक्ति दान-पुण्य किए जाते हैं। इस दिन बनारस में विशेष धार्मिक अनुष्ठान होता है।

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दीपदान का विशेष महत्व

कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि में पवित्र नदियों, सरोवरों, तालाब आदि में दीपदान करना चाहिए। इससे यम की पीड़ा से मुक्ति तो मिलती ही है, ग्रहों की पीड़ा भी शांत होती है। दीपदान से पापों का क्षय होता है और अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है। दीपदान के लिए पत्तों के बने दोने में घी में भीगी बत्तियां लगाकर प्रज्ज्वलित किया जाता है। इसमें एक पुष्प रखकर नदी में प्रवाहित करें।

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English summary
Kartik Purnima coming on 19th November, on this day People worship Vishnu god, perform religious ceremonies and take bath in the holy river of Ganga.
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