Kamika or Krishna Ekadashi 2020: पुण्य प्रदान करती है कामिका एकादशी
नई दिल्ली। श्रावण माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी का नाम कामिका एकादशी है। जैसा कि इसके नाम से ही ज्ञात है, कामिका अर्थात् सभी काम, सभी कार्य सिद्ध करने वाली एकादशी। शास्त्रों में कामिका एकादशी के बारे में कहा गया है कि जो मनुष्य भक्ति भाव पूर्ण इस एकादशी का व्रत रखकर भगवान नारायण की पूजा करता है उसे वाजपेय यज्ञ के समान उत्तम कोटि का शुभ फल प्राप्त होता है। सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान-दान करने का जो पुण्य प्राप्त होता है वह कामिका एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। इस एकादशी के फलस्वरूप व्यक्ति पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूर्ण कृपा बरसती है। ऐसा व्यक्ति संसार में रहते हुए सदा स्वर्गिक सुख भोगता है और मृत्यु के पश्चात बैकुंठ लोक का निवासी बनता है। इस वर्ष श्रावण कृष्ण एकादशी अर्थात् कामिका एकादशी 16 जुलाई गुरुवार को आ रही है। इसी दिन सूर्य का कर्क राशि में गोचर भी प्रारंभ होगा। इसलिए यह दिन व्रत, दान-पुण्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
कैसे करें कामिका एकादशी व्रत की पूजा
- प्रत्येक एकादशी की तरह इस एकादशी व्रत के नियम भी दशमी तिथि से प्रारंभ हो जाते हैं और द्वादशी तिथि के प्रात:काल तक जारी रहते हैं।
- दशमी तिथि के दिन व्रती संयमों का पालन करें। रात्रि भोजन का सर्वथा त्याग करे।
- एकादशी के दिन सूर्योदय पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर, भगवान की नियमित पूजा करें।
- भगवान विष्णु का पूजन कर उनके समक्ष एकादशी व्रत का संकल्प लें। दिनभर विष्णु के नाम मंत्र का मानसिक जाप करते रहें।
- दिनभर निराहार रहे। जरूरत हो तो फलाहार ग्रहण करें।
- सायंकाल के समय भगवान नारायण का मां लक्ष्मी सहित पूजन संपन्न् करें।
- भगवान का श्रृंगार पीले पुष्पों से करें। नैवेद्य में फल और मिष्ठान्न् अर्पित करें।
- तुलसी के पौधे के समीप घी का दीपक लगाएं।
- विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
- रात्रि जागरण करते हुए भगवान के भजन करते रहें।
- दूसरे दिन द्वादशी को व्रत का पारणा करें। किसी ब्राह्मण दंपती को भोजन करवाकर यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें।
- इसके बार स्वयं व्रत खोलें।
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कामिका एकादशी व्रत के अनेक लाभ
- कामिका एकादशी का व्रत रखने से सुख, सौभाग्य, संपत्ति, भूमि, रत्न, आभूषणों की प्राप्ति होती है।
- इस एकादशी के दिन तुलसी पूजा का बड़ा महत्व है। रत्नाभूषण भेंट करने से भी अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है।
- कामिका एकादशी मोक्ष प्रदाता है। व्यक्ति की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती और ना ही उसे नरक के दुख भोगना पड़ते हैं।
- इस एकादशी पर भगवान विष्णु के समीप घी का दीपक प्रज्जवलित करने से मोक्ष मिलता है और स्वर्ग में उच्च पद हासिल होता है।
- व्रत करने वाले को कामिका एकादशी व्रत की कथा अवश्य सुनना चाहिए। कथा सुने बगैर व्रत अधूरा रहता है।
- कामिका एकादशी की रात्रि में दीपदान करने का भी महत्व है। इससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
कामिका एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में किसी गांव में एक ठाकुर साहब रहते थे। उन्हें अपनी धन-दौलत का बड़ा घमंड था। वे हर किसी पर रौब झाड़ते रहते थे और सभी को नीचा दिखाने का प्रयास करते थे। उसी गांव में एक वेदपाठी ब्राह्मण भी रहता था। एक बार किसी बात को लेकर ठाकुर और ब्राह्मण में झगड़ा हो गया। आवेश में ठाकुर के हाथों ब्राह्मण की हत्या हो गई। ठाकुर क्रोधी जरूर था लेकिन उसकी मंशा ब्राह्मण की हत्या की नहीं थी, लेकिन होनी तो हो चुकी थी। ठाकुर ने इसका प्रायश्चित करने के लिए ब्राह्मण का क्रिया कर्म अपने हाथों करने का विचार किया, लेकिन ब्राह्मण के परिवार वालों ने ठाकुर को ब्राह्मण की अंत्येष्टि में शामिल होने से ही रोक दिया और कहा कि तुम ब्रह्म हत्या के दोषी हो इसलिए तुम्हें अपने इस भयंकर पाप का प्रायश्चित करना होगा। ठाकुर के पूछने पर ब्राह्मणों ने कहा कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली कामिका एकादशी का व्रत करो तभी तुम्हारे पापों को क्षमा मिल सकती है। ठाकुर ने ब्राह्मणों के बताए अनुसार व्रत किया और पापों से मुक्ति पाई। यह तो कथा का केवल एक भाग है। कामिका एकादशी व्रत के कई लाभ प्राप्त होते हैं।
एकादशी तिथि कब से कब तक
- एकादशी प्रारंभ 15 जुलाई रात्रि 10.19 बजे से
- एकादशी पूर्ण 16 जुलाई रात्रि 11.44 बजे तक
- व्रत का पारणा 17 जुलाई प्रात: 5.57 से 8.19 बजे तक
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