Kamika Ekadashi 2019: जानिए कामिका एकादशी व्रत का महत्व
नई दिल्ली। श्रावण माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी में भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा की जाती है। जिनके हाथ में शंख, चक्र, गदा, पद्म सुशोभित हो। शास्त्रों में कामिका एकादशी के बारे में कहा गया है कि जो मनुष्य भक्ति भाव पूर्ण इस एकादशी का व्रत रखकर चतुर्भुज भगवान की पूजा करता है उसे वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।
जीवन के सारे संकटों का नाश हो जाता है
सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान-दान का जो पुण्य प्राप्त होता है वह कामिका एकादशी को करने से मिल जाता है। इस एकादशी के फलस्परूप व्यक्ति पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूर्ण कृपा बरसती है और उसके जीवन के सारे संकटों का नाश हो जाता है। इसके पुण्य फल से मनुष्य सुख-संपत्ति का स्वामी बनता है। इस वर्ष श्रावण कृष्ण एकादशी, कामिका एकादशी 28 जुलाई रविवार को आ रही है।
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ये लाभ हैं कामिका एकादशी करने के
- कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा करने से जीवन में संयम और आध्यात्मिकता का विकास होता है।
- इस एकादशी का व्रत रखने से सुख, सौभाग्य, संपत्ति, भूमि, रत्न, आभूषणों की प्राप्ति होती है।
- जो फल युक्त बछड़ा दान करने से मिलता है, वह फल इस एकादशी के व्रत से मिल जाता है।
- इस एकादशी के दिन तुलसी पूजा का बड़ा महत्व है। रत्नाभूषण भेंट करने से भी अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है।
- कामिका एकादशी मोक्ष प्रदाता है। व्यक्ति की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती और ना ही उसे नरक के दुख भोगना पड़ते हैं।
- कामिका एकादशी व्रत करने से एकादशी के दिन तक किए गए पापों का क्षय हो जाता है।
- इस एकादशी पर भगवान विष्णु के समीप घी का दीपक प्रज्जवलित करने से मोक्ष मिलता है और स्वर्ग में उच्च पद हासिल होता है।
- व्रत करने वाले को कामिका एकादशी व्रत की कथा अवश्य सुनना चाहिए। कथा सुने बगैर व्रत अधूरा रहता है।
- कामिका एकादशी की रात्रि में दीपदान करने का भी महत्व है। इससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
कामिका एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में किसी गांव में एक ठाकुर साहब रहते थे। उन्हें अपने धन-दौलत का बड़ा घमंड था और हर किसी पर रौब दिखाते रहते थे। उसी गांव में एक वेदपाठी और सुसंस्कृत ब्राह्मण भी रहता था। एक बार किसी बात को लेकर ठाकुर और ब्राह्मण में झगड़ा हो गया। क्रोध और आवेश में ठाकुर के हाथों ब्राह्मण की हत्या हो जाती है। ठाकुर क्रोधी जरूर था लेकिन उसकी मंशा ब्राह्मण की हत्या की नहीं थी, लेकिन होनी तो हो चुकी थी। ठाकुर ने इसका प्रायश्चित करने के लिए ब्राह्मण का क्रिया कर्म अपने हाथों करने की सोची, लेकिन ब्राह्मण के परिवार वालों ने ठाकुर को ब्राह्मण की अंत्येष्टि में शामिल होने से ही रोक दिया और कहा कि तुम ब्रह्म हत्या के दोषी हो इसलिए तुम्हें अपने इस भयंकर पाप का प्रायश्चित करना होगा। ठाकुर के पूछने पर ब्राह्मणों से कहा कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली कामिका एकादशी का व्रत करो तभी तुम्हारे पापों को क्षमा मिल सकती है। ठाकुर ने ब्राह्मणों के बताए अनुसार व्रत किया और पापों से मुक्ति पाई। यह तो कथा का केवल एक भाग है। कामिका एकादशी व्रत के कई लाभ प्राप्त होते हैं।
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