Janmashtami 2020: नटखट कान्हा ने बनाया था पहला मानव पिरामिड
नई दिल्ली। आजकल हर प्रमुख अवसर पर मानव आकार या मानव द्वारा निर्मित आकृतियां बनाने का चलन चल पड़ा है। अवसर चाहे रोमांच का हो या खुशी का, खेल का हो या शोक का , सद्भावना का हो या सौहार्द्र का, हर समय मानव श्रृंखला,मानव आकृति या मानव पिरामिड बनाकर भावनाओं का प्रदर्शन किया जाना आम हो गया हैलेकिन क्या आप जानते हैं कि संसार का पहला मानव पिरामिड किसने बनाया था? नट नागर श्री कृष्ण ने, जो उनके नटखट बचपन की मधुर स्मृतियों में से एक है।
आइए आज इसी का रसास्वादन करते हैं...
कन्हैया के माखन प्रेम के बारे में तो सभी जानते हैं, जब नन्हे से कान्हा घुटने घुटने चला करते थे तब भी वे माता यशोदा द्वारा बनाए गए मक्खन को चट कर जाने का मौका तलाशा करते थे। जब कन्हैया बड़े हुए तब ढेरों बाल गोपाल भी उनके दल में शामिल हो गए। घर का माखन तो अकेले कान्हा ही चट कर जाते थे। अब दल का नेता होने के नाते उन्हें अपने बाल सखाओं की व्यवस्था करनी थी, इसीलिए पूरी बाल टोली ने मिलकर तय किया कि पूरे वृंदावन में हर घर की टोह ली जाए और जहां माखन मिले उसे पार लगा दिया जाए। इसके बाद तो वृंदावन के हर घर से माखन गायब होने लगा।
गोपालों को एक के ऊपर एक खड़ा कर मटकी लूट ली
उधर, माताएं भी कम चालक ना थी। माखन बचाने के लिए उन्होंने मटकी को छीके अर्थात बहुत ऊंची जगह पर लटकाना शुरू कर दिया। माखन को अपनी पहुंच से बाहर पाकर ग्वालटोली उदास हो गई पर कान्हा से कब और क्या बस सकता था। उन्होंने तुरंत दिमाग लगाया और सब गोपालों को एक के ऊपर एक खड़ा कर मटकी लूट ले गए। इस तरह संसार का पहला मानव पिरामिड खेल और प्यारी शैतानी से बना।
मानव पिरामिड बनाकर माखन मटकी लूटी जाती है
इसलिए कन्हैया के इसी नटखट मोहिनी स्वरूप की स्मृति को जीवंत रखने के लिए आज भी जन्माष्टमी के पावन अवसर पर मानव पिरामिड बनाकर माखन मटकी लूटी जाती है।
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