Janmashtami: इस साल 23 अगस्त को मनेगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
नई दिल्ली। भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि 23 अगस्त शुक्रवार को आ रही है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। जन्माष्टमी के समय को लेकर इस बार भी पंचांगों में मतभिन्नता दिखाई दे रही है। कुछ पंचांग 23 अगस्त और कुछ 24 अगस्त को जन्माष्टमी मान रहे हैं। उज्जैन की सिद्धविजय पंचाग के अनुसार 23 अगस्त को सुबह 8 बजकर 10 मिनट तक सप्तमी तिथि रहेगी। उसके बाद अष्टमी तिथि लग जाएगी जो अगले दिन यानी 24 अगस्त को प्रातः 8 बजकर 33 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। चूंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि में रात 12 बजे हुआ था, इसलिए 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना शास्त्रसम्मत है। श्रीकृष्ण का जन्म अर्द्धरात्रिव्यापिनी अष्टमी तिथि में ही मनाया जाता है, इसलिए भी जन्माष्टमी 23 अगस्त को ही मनाई जाएगी।
वैष्णव संप्रदाय 24 को मनाएगा जन्माष्टमी
जन्माष्टमी, एकादशी आदि तिथियों को लेकर वैष्णव और स्मार्त मतों में हमेशा भिन्नता रहती है। वैष्णव संप्रदाय बढ़ती तिथियों में व्रत को मान्यता देते हैं जबकि स्मार्त मत को मानने वाले सबसे पहले जो तिथि आ जाए उसी में व्रत करते हैं। इस लिहाज से वैष्णव मतावलंबी 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे। 24 को सूर्योंदय के समय अष्टमी तिथि रहेगी और रोहिणी नक्षत्र भी रहेगा जिसमें श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था इसलिए वैष्णव जगत में 24 अगस्त को जन्माअष्टमी मनाई जाएगी। जबकि स्मार्त मत को मानने वाले और साधु-संन्यासी 23 अगस्त को जन्माष्टमी करेंगे।
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कैसे करें जन्माष्टमी पूजा विधि
पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि बारह बजे हुआ था। इसीलिए रात 12 बजे श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन सभी मंदिरों का श्रंृगार किया जाता है। घर-घर में झूला और झांकी सजाई जाती है। श्री कृष्ण के लड्डू गोपाल स्वरूप का सोलह श्रंगार किया जाता है। कई स्थानों पर रात बारह बजे खीरा ककड़ी के अंदर से भगवान कृष्ण का जन्म कराया जाता है। इस दिन रात 12 बजे तक व्रत रखने की परंपरा है।
कृष्ण के जन्म की सूचना से दिशाएं गूंज उठती हैं
श्री कृष्ण का जन्म होते ही शंख, घंटों की आवाज से सारे मंदिरों और संपूर्ण जगत में श्री कृष्ण के जन्म की सूचना से दिशाएं गूंज उठती हैं। इसके बाद भगवान कृष्ण को झूला झुलाकर आरती की जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही व्रत खोला जाता है। श्री कृष्ण द्वारा गोकुल धाम में गोपियों की मटकी से माखन लूटने की याद में लगभग संपूर्ण भारत में इस दिन मटकी फोड़ने की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
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